नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से बृहस्पतिवार को पूछा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों मिल रही है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी को कोरोना मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक मात्रा में भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि अदालत दिल्ली को अधिक ऑक्सीजन दिलाना चाहती है और यह भी कि अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के लिए आवंटित कोटे की कीमत पर दिल्ली को ऑक्सीजन आंवटित हो।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है, जबकि उसे 490 मीट्रिक टन ही आवंटित की गयी है। मेहरा और मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव ने अदालत को सूचित किया कि राष्ट्रीय आवंटन योजना के अनुसार महाराष्ट्र को प्रतिदिन 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है, जबकि उसे 1661 मीट्रिक टन आवंटित की गयी है। मध्य प्रदेश ने 445 मीट्रिक टन की मांग की थी, उसे 543 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गयी। कई अन्य राज्यों के साथ भी यही स्थिति है। अदालत ने केंद्र सरकार को इस पर जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र को या तो इस पर स्पष्टीकरण देना होगा या संशोधन करना होगा। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफनामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी। मेहता ने कहा, ‘ऐसे राज्य हैं जिन्हें मांग से कम आपूर्ति की गई है। हम इसकी तर्कसंगत व्याख्या करेंगे।’
हरियाणा की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी : दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को यह स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन इकाई को नियंत्रण में लेने संबंधी अदालत के आदेश से हरियाणा की ऑक्सीजन आपूर्ति प्रभावित नहीं होनी चाहिए। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट से 27 अप्रैल के उस आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया था, जिसमें दिल्ली सरकार को पलवल स्थित ‘सेठ एयर’ का नियंत्रण अपने हाथों में लेने का आदेश दिया गया था। इस इकाई से दिल्ली एवं हरियाणा में ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है।
जब्त रेमडेसिविर, सिलेंडर अस्पतालों में भेजें
दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार के राजस्व विभाग के उपायुक्त को निर्देश दिया कि कालाबाजारी करने वाले लोगों और जमाखोरों से रेमडेसिविर जब्त करने के बाद इसे तुरंत अस्पतालों तक पहुंचाया जाए। अदालत ने कहा कि जब्त करते ही जांच अधिकारी को तुरंत इसकी सूचना उपायुक्त को देनी चाहिए। पीठ ने कहा कि जांच अधिकारी को सुनिश्चित करना चाहिए कि जब्त दवाएं मौलिक हैं, उन्हें रेफ्रिजरेटर में रखा जाए। अदालत ने पुलिस की छापेमारी में जब्त ऑक्सीजन सिलेंडर के सिलसिले में भी यही निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार ने पीठ से कहा कि 27 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस ने रेमडेसिविर की करीब 279 शीशियां जब्त की हैं। पीठ ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि रेमडेसिविर या ऑक्सीजन सिलेंडर रोगियों या उनके तीमारदारों से जब्त नहीं किये जाने चाहिए, भले ही इन्हें कालाबाजार से खरीदा हो, क्योंकि उन्होंने ऐसा कदम ‘हताशा में और जरूरत के कारण’ उठाया होगा।