नयी दिल्ली, 7 जून (एजेंसी)
कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए बनाई गयी ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के बारे में जानकारी देने के लिए केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगा। वहीं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली सहयोग नहीं कर रहे। वे उन बच्चों की संख्या के बारे ताजा आंकड़े नहीं दे रहे, जिन्होंने कोरोना के कारण अपने अभिभावकों को खो दिया है।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस एलएन राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ को सूचित किया कि योजना के तौर-तरीके तैयार करने के लिए राज्यों और मंत्रालयों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस पर पीठ ने कहा कि वह केंद्र को कुछ और समय देने के पक्ष में है। एनसीपीसीआर की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने पीठ से कहा कि पश्चिम बंगाल और दिल्ली से दिक्कत हो रही है, वे ऐसे बच्चों से संबंधित आंकड़े ‘बाल स्वराज’ पोर्टल पर नहीं डाल रहे। दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता चिराग श्राफ ने कहा कि उनके आंकड़े पूरी तरह से बाल कल्याण समितियों द्वारा मुहैया कराए जाते हैं। वहीं अन्य राज्यों में विभिन्न विभाग जिलाधिकारियों को आंकड़े मुहैया कराते हैं। पीठ ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी जिला स्तर पर कार्यबल होने चाहिए। पीठ ने दिल्ली और पश्चिम बंगाल सरकार के वकीलों से कहा कि अदालत के आदेश की प्रतीक्षा न करें, सभी संबंधित योजनाओं का कार्यान्वयन करें।
मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए गये वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पीठ से कहा कि ऐसे बच्चों की पहचान की प्रक्रिया तमिलनाडु के अलावा अन्य राज्यों में संतोषजनक रही है। तमिलनाडु में कोविड के संदर्भ में स्थिति कठिन है।