नयी दिल्ली, 8 अक्तूबर (एजेंसी)
माकपा नेता वृंदा करात ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि यहां शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के संबंध में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद परवेश वर्मा के कथित नफरत भरे भाषणों को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। वृंदा ने अदालत में दावा किया कि अनुराग ठाकुर और वर्मा के खिलाफ एक संज्ञेय अपराध का मामला बनता है। माकपा नेता ने निचली अदालत द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी है। याचिका में दोनों नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिए जाने की अपील की गई है। जस्टिस योगेश खन्ना ने दलीलें सुनने के बाद वृंदा के वकील और दिल्ली पुलिस को अपनी दलीलों के समर्थन में संबद्ध निर्णय दाखिल करने को कहा। बहरहाल, अदालत ने विषय की आगे की सुनवाई दो नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दी। वृंदा का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि शिकायत 9 महीने तक निचली अदालत में लंबित रखी गई और उसके बाद मजिस्ट्रेट ने याचिका खारिज कर दी तथा यहां तक कि उन्होंने मामले के गुण-दोष पर भी विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि एक संज्ञेय अपराध (कथित तौर पर नफरत भरे भाषणों से) हुआ है और वे विषय की पुलिस से सिर्फ जांच कराने की मांग कर रहे हैं। याचिका में दलील दी गई है कि सरकार और पुलिस ने आरोपियों के भाषणों से पल्ला झाड़ लिया, ऐसे में याचिकाकर्ताओं की दलील है कि उनके पास सिर्फ न्यायिक उपाय ही हैं।
क्या थी वृंदा की शिकायत
वृंदा ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि ‘‘ अनुराग ठाकुर और वर्मा ने लोगों को उकसाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में 2 प्रदर्शन स्थलों पर गोलीबारी की 3 घटनाएं हुईं।’ शिकायत में जिन धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की गई है, उनमें आरोप साबित हो जाने पर अधिकतम 7 साल की कैद की सजा हो सकती है। माकपा नेता ने आरोप लगाया था कि यहां रिठाला रैली में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने 27 जनवरी को सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों की आलोचना करने के बाद भीड़ को ‘गोली मारो गद्दारों को’- नारा लगाने के लिये उकसाया। अपनी शिकायत में उन्होंने यह भी जिक्र किया था कि वर्मा ने शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 28 जनवरी को कथित तौर पर उकसाने वाली टिप्पणी की थी।