देहरादून, 19 मार्च (एजेंसी) उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री के चयन के लिए देहरादून में सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक होने की संभावना है। भाजपा की उत्तराखंड इकाई के प्रवक्ता शादाब शम्स ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी बैठक में शामिल होने के लिए एक दिन पहले रविवार को या फिर उसी दिन देहरादून पहुंच सकते हैं। शम्स के मुताबिक, शपथ ग्रहण समारोह मंगलवार को हो सकता है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। कुमाऊं क्षेत्र में शनिवार को होली मनाए जाने के मद्देनजर वहां की विभिन्न विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक अभी भी वहीं हैं। भाजपा की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि इन नेताओं को अगले दो से तीन दिन में नई सरकार के गठन की संभावनाओं से अवगत करा दिया गया है और वे रविवार तक देहरादून पहुंच जाएंगे। खटीमा से हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी जहां मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं, वहीं चौबट्टाखाल के विधायक सतपाल महाराज, श्रीनगर के विधायक धन सिंह रावत और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी इस पद के दावेदारों में शामिल हैं। भाजपा की उत्तराखंड इकाई के सूत्रों ने बताया कि धामी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि वह न केवल युवा और ऊर्जावान हैं, बल्कि भाजपा ने पहाड़ी राज्य में उनके नाम पर चुनाव लड़ा था और शानदार जीत दर्ज की। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के धामी के नाम पर मुहर लगाने का फैसला करने की एक और बड़ी वजह यह हो सकती है कि उसे पिछले कार्यकाल में बेहद कम समय में दो मुख्यमंत्रियों को बदलने के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर उत्तर प्रदेश चुनाव में अपनी सीट गंवाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है तो धामी को मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया जा सकता है? हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अगर पार्टी किसी नए चेहरे का चयन करने का फैसला लेती है तो क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाना काफी अहम होगा। चूंकि, कुमाऊं के एक ब्राह्मण नेता अजय भट्ट को पहले ही केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया जा चुका है, ऐसे में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाने के लिए गढ़वाल के एक ठाकुर या राजपूत नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो सतपाल महाराज या धन सिंह रावत, जो गढ़वाल के प्रमुख ठाकुर नेता हैं, मुख्यमंत्री पद के लिए पसंदीदा चेहरा बनकर उभर सकते हैं। नये मंत्रिमंडल में युवा चेहरों और महिलाओं को अधिक संख्या में शामिल किए जाने की भी चर्चा है। सौरभ बहुगुणा और रितु खंडूरी भूषण के नाम भी मंत्री पद के लिए संभावित हैं। सितारगंज से जीत दर्ज करने वाले सौरभ बहुगुणा पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे हैं, तो कोटद्वार से विजयी रितु खंडूरी भूषण भाजपा के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी हैं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।