ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 22 अप्रैल
हरियाणा में अब कोई अनाथ नहीं रहेगा। बिना मां-बाप के बच्चों की ‘माई-बाप’ सरकार बनेगी। ऐसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई ही नहीं, उनके रोजगार और घर तक का प्रबंध सरकार करेगी। प्रदेश सरकार ने बेघर, परित्यक्त और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए ‘हरिहर’ योजना लागू की है। बृहस्पतिवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस योजना को हरी झंडी दी गई।
बैठक में 5 वर्ष की आयु से पहले परित्यक्त या एक वर्ष की आयु से पहले आत्मसमर्पित और राज्य के बाल देखभाल संस्थानों से 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके ऐसे परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों को रोजगार, शैक्षिक और वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए यह योजना बनाई है। बाल देखभाल संस्थानों में 18 वर्ष से अधिक के बच्चों को रहने नहीं दिया जाता है। यह उम्र पूरी कर चुके बच्चों को अब सरकार आगे की शिक्षा मुहैया कराएगी। उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उन्हें सरकारी नौकरियों में तवज्जो दी जाएगी।
सरकार अनुकंपा के आधार पर ग्रुप-सी और डी की नौकरियों में उनको प्राथमिकता देगी। अगर वे इससे ऊंची नौकरियों के लिए योग्य होंगे तो निर्धारित शर्तों को पूरा करने पर क्लास-2 और क्लास-1 की नौकरी भी हासिल कर सकेंगे। ऐसे बच्चों काे सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस के लिए नौकरियों में लागू 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इतना ही नहीं, ऐसे युवाओं को मकान खरीदने के लिए एक बार ब्याज मुक्त ऋण भी सरकार मुहैया कराएगी।
नीति के अनुसार, ऐसे बच्चों को 25 वर्ष की आयु तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में छात्रावास की सुविधा के साथ तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण सहित नि:शुल्क शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा प्रदान की जाएगी। यदि देखभाल के बाद परित्यक्त और आत्मसमर्पित लाभार्थी को अनुकंपा आधार पर नौकरी मिलती है, तो उसका वेतन एक फिक्स्ड डिपॉजिट खाते में जमा होगा। 25 वर्ष की आयु, विवाह के बाद या आफ्टर केयर से निकलने के विकल्प, जो भी पहले हो, के बाद ही राशि को निकालने की अनुमति दी जाएगी।
ऐसे व्यक्ति को अपने जीवनयापन के खर्च के लिए प्रतिमाह अपने वेतन से 20 प्रतिशत वेतन अग्रिम मिलेगा और वह वित्तीय सहायता के लिए पात्र नहीं होगा। उन्हें विवाह के समय मकान खरीदने के लिए एक बार ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाएगा।
आफ्टर केयर के वे व्यक्ति, जिन्हें नौकरी में नियुक्त नहीं किया गया है, उन्हें राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की सामाजिक सुरक्षा पेंशन (विकलांगता पेंशन) के बराबर उनके पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।