हरियाणा के खेत लहलहा रहे, पंजाब में शहर खा रहे !
पंजाब और हरियाणा को देश का अन्न का कटोरा कहा जाता है, लेकिन इन दोनों राज्यों के रुझान अब अलग-अलग नजर आ रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में पंजाब में खेती के तहत करीब 30 हजार एकड़ रकबा घटा है, जबकि हरियाणा में करीब डेढ़ लाख एकड़ बढ़ा है। पंजाब के उपजाऊ खेत अब शहरों में खपने लगे हैं। ‘जमीनी उपयोग का आंकड़ा 2023-24’ के अनुसार, पंजाब में वर्ष 2019-20 में खेती के तहत 42.38 लाख हेक्टेयर रकबा था, जो 2023-24 तक घटकर 42.26 लाख हेक्टेयर रह गया। एकड़ में देखें तो 30 हजार एकड़ की कमी आई है। वहीं, हरियाणा में वर्ष 2019-20 में 37.94 लाख हेक्टेयर रकबा खेती के तहत था, जो 2023-24 में बढ़कर 38.53 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह बढ़ोतरी 1,47,500 एकड़ की है।
पंजाब में बढ़ते शहर खेतों को निगल रहे हैं। जिला मोहाली, लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, बठिंडा और पटियाला में शहरों का विस्तार हुआ है। शहरों के बाहरी क्षेत्रों में कॉलोनियां बनी हैं, जिसने खेतों के तहत रकबा कम कर दिया है। पंजाब में पिछले वर्षों में सड़कों का जाल भी तेजी से बिछा है और राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्ाृहीत हुई है। राष्ट्रीय सड़क मार्गों पर खुल रहे आउटलेट भी खेती की जमीनों को घटा रहे हैं। पंजाब में पिछले दो वर्षों के दौरान कृषि भूमि के दाम भी बढ़े हैं। कृषि भूमि का गैर-कृषि कामों के लिए इस्तेमाल होने लगा है।
केंद्रीय पूल में अनाज के मामले में पंजाब और हरियाणा का प्रमुख हिस्सा है। पंजाब में हर साल करीब 32 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई होती है और 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई होती है।
शहरीकरण की रफ्तार बढ़ी
पंजाब किसान एवं कृषि कामगार कमीशन के चेयरमैन डॉ. सुखपाल सिंह कहते हैं कि लंबे समय से यह रुझान चल रहा है कि खेती के तहत रकबे में कमी हो रही है, लेकिन अब शहरीकरण की तेज रफ्तार ने खेती के रकबे को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे ग्रामीण लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, शहरों का विस्तार हो रहा है।
