नयी दिल्ली, 29 सितंबर (एजेंसी) सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उपयोगकर्ता (यूजर) का डेटा फेसबुक और अन्य को साझा करने की व्हाट्सएप की नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर 17 जनवरी, 2023 को सुनवाई करेगा। व्हाट्सएप की नीति को चुनौती देते हुए दो छात्रों ने याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि उपयोगकर्ता का विवरण स्वामित्व वाली कंपनी फेसबुक या किसी और से साझा करना उनकी निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय एक संविधान पीठ ने इस मामले में सभी पक्षों से 15 दिसंबर तक दलीलें पेश करने को कहा है। पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 17 जनवरी 2023 को सूचीबद्ध करते हैं।’ अदालत ने दो छात्रों- कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में उक्त दोनों कंपनियों के बीच तय हुए उस समझौते को चुनौती दी गई थी जिसके तहत उपयोगकर्ताओं से संबंधित जानकारी मसलन तस्वीरें, वीडियो टेक्स्ट, दस्तावेज आदि साझा करने को कहा गया था। याचिका के अनुसार यह उपयोगकर्ताओं की निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।