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पराली तो कोविड काल में भी जली मगर आसमान साफ था

वायु प्रदूषण संकट पर सुप्रीम कोर्ट का तर्क
नयी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच सोमवार सुबह कर्तव्य पथ के पास टहलता एक व्यक्ति। -मुकेश अग्रवाल
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई को केवल सर्दियों के महीनों में ‘रस्मी सुनवाई’ के तौर पर नहीं देखा जा सकता। इस समस्या के अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए महीने में दो बार सुनवाई की जाएगी। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सामान्य विमर्श में एक अहम बदलाव करते हुए कहा, ‘पराली जलाने का मुद्दा अनावश्यक रूप से राजनीतिक मुद्दा या अहं का मुद्दा नहीं बनना चाहिए।’

सीजेआई सूर्यकांत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाने को मुख्य कारण बताए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोविड काल में लॉकडाउन के दौरान भी पराली जलाई जा रही थी, फिर भी लोगों को साफ नीला आसमान क्यों दिखाई दे रहा था? उन्होंने कहा कि हम अन्य कारकों को नियंत्रित करने के लिए किए गये उपायों पर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट चाहते हैं। सीजेआई ने कहा कि हम पराली जलाने पर टिप्पणी नहीं करना चाहते, क्योंकि इसका बोझ उन लोगों (किसानों) पर डालना गलत है, जिनका इस न्यायालय में बहुत कम प्रतिनिधित्व है। सीजेआई ने देश में अनियोजित शहरी विकास और बढ़ती महत्वाकांक्षी आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि देश का कोई भी शहर यह सोचकर विकसित नहीं किया गया था कि प्रत्येक घर में कई कारें होंगी। सीजेआई ने तात्कालिक और दीर्घकालिक उपायों में स्पष्टता की मांग करते हुए केंद्र से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य के विशिष्ट कदमों के बारे में बताने को कहा। शीर्ष अदालत ने इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय की।

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सरकार ने कहा- पराली जलाने के मामलों में 90 प्रतिशत कमी

सरकार ने सोमवार को संसद को बताया कि पंजाब और हरियाणा में 2022 की तुलना में 2025 में खेतों में पराली जलाने की लगभग 90 प्रतिशत कम घटनाएं दर्ज की गईं। कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली ने 2020 के कोविड लॉकडाउन वाले समय को छोड़कर, 2018 के बाद से जनवरी-नवंबर के बीच अपना सबसे कम औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक दर्ज किया।

दिल्ली की वायु गुणवत्ता फिर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में

राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सोमवार को एक बार फिर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गई और इस दौरान समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 304 दर्ज किया गया। लगातार 24 दिनों तक ‘बेहद खराब’ और अक्सर ‘गंभीर’ श्रेणी के करीब रहने के बाद रविवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ था और तब एक्यूआई 279 दर्ज किया गया था जो ‘खराब’ की श्रेणी में आता है। हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार शाम चार बजे तक 24 घंटे का औसत एक्यूआई 304 हो गया।

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