
नयी दिल्ली, 18 मार्च (एजेंसी)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति ‘बहुत नाजुक' बनी हुई है और कुछ इलाकों में भारत एवं चीन, दोनों देशों के सैनिकों की नजदीक तैनाती करने के चलते सैन्य आकलन के अनुसार हालात ‘काफी खतरनाक' हैं। हालांकि विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि कई क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया में 'पर्याप्त' प्रगति हुई है। जयशंकर ने यह भी कहा कि वह और चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री वांग यी सितंबर 2020 में इसको लेकर एक सैद्धांतिक सहमति पर पहुंचे थे कि इस मुद्दे को कैसे सुलझाया जाए तथा जिस बात पर सहमति बनी थी उसे चीन को पूरा करना है। विदेश मंत्री जयशंकर ने एक कार्यक्रम में स्पष्ट किया कि जब तक 'इन समस्याओं' का समाधान नहीं हो जाता, तब तक दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ जगहों पर लगभग 3 साल से आमने-सामने हैं, हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
विदेश मंत्री के बयान से एक दिन पहले ही सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति स्थिर है कि लेकिन पूरे मामले पर गहन नजर रखने की जरूरत है।
अपनी टिप्पणी में विदेश मंत्री ने 2 मार्च को जी 20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर नये चीनी समकक्ष छिन कांग के साथ अपनी भेंट का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘हाल की मेरी भेंट नये विदेश मंत्री छिन कांग के साथ थी जब जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। हमारे बीच इस बारे में लंबी बातचीत हुई। सितंबर, 2020 में वांग यी और मेरे बीच सैद्धांतिक रूप से सहमति बनी थी कि कैसे इसका समाधान किया जाए। इसलिए चीनी जिस बात पर सहमत हुए थे, जिसके लिए उन्होंने जद्दोजहद की थी, उन्हें अब उसे पूरा करना है।'
शांति भंग करना हमें स्वीकार नहीं
जयशंकर ने कहा, ‘हमने चीनियों को यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें शांति भंग की स्थिति अस्वीकार्य है। आप समझौतों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं और फिर चाहते हैं कि बाकी रिश्ते ऐसे बने रहें जैसे कुछ हुआ ही नहीं। यह नहीं चलेगा।'
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