SC हत्या मामले में हरियाणा STF द्वारा गिरफ्तार वकील को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया
Advocate Vikas Singh: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के वकील विक्रम सिंह को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, जिन्हें गुरुग्राम पुलिस के विशेष कार्यबल (STF) ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तार किया था।
प्रधान न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने वकील की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि सिंह को 10,000 रुपये के जमानती बॉन्ड जमा करने पर तत्काल रिहा किया जाए तथा उसने मामले की अगली सुनवाई अगले बुधवार के लिए तय कर दी।
पीठ ने शीर्ष न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वे तत्काल अनुपालन के लिए गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त को आदेश से अवगत कराएं।
सुनवाई शुरू होने पर विकास ने कहा कि आपराधिक कानून में ‘प्रैक्टिस' करने वाला कोई भी व्यक्ति अब इस तरह के बलपूर्वक उपायों का शिकार हो सकता है। सिंह ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन' के अध्यक्ष भी हैं।
उन्होंने कहा कि गिरफ्तार वकील गैंगस्टरों का प्रतिनिधित्व कर रहा था लेकिन वकीलों के खिलाफ पुलिस का इस तरह का अत्याचार अस्वीकार्य है। विकास ने सुप्रीम कोर्ट के हाल में आए एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि हर गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी लिखित रूप में और ऐसी भाषा में दी जानी चाहिए जिसे वह समझ सके, चाहे अपराध का स्वरूप कुछ भी हो।
सिंह ने आरोप लगाया कि STF ने ऐसा नहीं किया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने दिल्ली के वकीलों को मनाया है कि इस मुद्दे पर हड़ताल जारी न रखें क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जा चुकी है। इन दलीलों पर गौर करते हुए पीठ ने हरियाणा और दिल्ली सरकारों तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया।
CJI ने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता एक अधिवक्ता हैं और कानून की प्रक्रिया से बचने की संभावना नहीं है। अतः उन्हें अंतरिम राहत दी जाती है और 10,000 रुपये के मुचलके पर तत्काल रिहा किया जाता है। मामले को अगले बुधवार को सूचीबद्ध किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) इस आदेश को गुरुग्राम पुलिस आयुक्त को संप्रेषित करें।''
पीठ ने यह भी गौर किया कि STF अधिकारी गिरफ्तार वकील के संपर्क में थे। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता का कहना है कि एएसआई (सहायक उपनिरीक्षक) के कहने पर वह थाने गए लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें गिरफ्तारी का कारण बताए बिना हिरासत में ले लिया गया।''
दिल्ली की विभिन्न जिला अदालतों के बार एसोसिएशन ने छह नवंबर को विकास सिंह को झूठे हत्या के मामले में फंसाए जाने के विरोध में हड़ताल की थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में उनकी तत्काल रिहाई और STF की कथित अवैध कार्रवाई की न्यायिक जांच का अनुरोध किया गया है।
याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 34 तथा शस्त्र कानून की धारा 25 के तहत दर्ज सभी आपराधिक कार्यवाहियों को रद्द किया जाए।
जुलाई 2019 से दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत अधिवक्ता सिंह वर्तमान में फरीदाबाद जेल में बंद हैं। याचिका में कहा गया है कि वकील को तब निशाना बनाया गया जब उन्होंने अदालत में आवेदन दायर कर आरोप लगाया कि उनके एक मुवक्किल ज्योति प्रकाश उर्फ ‘‘बाबा'' से हिरासत में मारपीट की गयी।
बाबा के STF हिरासत में रहने के दौरान कथित तौर पर पैर में फ्रैक्चर हो गया था। याचिका में कहा गया है, ‘‘जांच एजेंसी की जवाबी कार्रवाई के परिणामस्वरूप मेरी अवैध गिरफ्तारी हुई।'' याचिका में कहा गया है कि सिंह को 31 अक्टूबर को गिरफ्तारी के लिखित आधार या स्वतंत्र गवाहों के बिना गिरफ्तार किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का उल्लंघन है।
