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आरएसएस ने लिया संगठित हिंदू समाज के निर्माण का संकल्प

संघ की सर्वोच्च निर्णायक संस्था की बैठक में प्रस्ताव पारित

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आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले रविवार को बेंगलुरु में प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर के साथ प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए।-प्रेट्र
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बेंगलुरु, 23 मार्च (एजेंसी)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में विश्व शांति एवं समृद्धि के लिए सौहार्दपूर्ण और संगठित हिंदू समाज के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया है। रविवार को संपन्न हुई तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी महासचिव बीएल संतोष और आरएसएस से संबद्ध 32 संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया।

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संघ ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत एक प्राचीन संस्कृति है, जिसकी समृद्ध परंपराएं हैं और इसमें सौहार्दपूर्ण विश्व बनाने के लिए भरपूर ज्ञान है।

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अपनी शताब्दी के उपलक्ष्य में लिये संकल्प के प्रस्ताव में आरएसएस ने कहा, ‘हमारा चिंतन संपूर्ण मानवता को विभाजनकारी और आत्म-विनाशकारी प्रवृत्तियों से बचाता है। सभी प्राणियों के बीच शांति और एकता की भावना सुनिश्चित करता है। धर्म पर आधारित आत्मविश्वास से परिपूर्ण संगठित एवं सामूहिक जीवन के आधार पर ही हिंदू समाज अपने वैश्विक दायित्व को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेगा। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम सभी प्रकार के भेदभावों को खारिज करते हुए सामंजस्यपूर्ण प्रथाओं का पालन करते हुए एक आदर्श समाज का निर्माण करने का संकल्प लें। पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली पर आधारित मूल्य आधारित परिवार और आत्मसम्मान से परिपूर्ण नागरिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता रखें।'

प्रस्ताव में कहा गया है कि यह संकल्प एक मजबूत राष्ट्रीय जीवन का निर्माण करने, भौतिक रूप से समृद्ध और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण होने, चुनौतियों को कम करने तथा समाज की सभी समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाएगा। इसमें कहा गया है, ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सभी स्वयंसेवकों से आह्वान करती है कि वे सज्जन शक्ति के नेतृत्व में पूरे समाज को एक साथ लेकर विश्व के समक्ष सामंजस्यपूर्ण और संगठित भारत का आदर्श प्रस्तुत करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करें।’

‘धर्म आधारित आरक्षण संविधान का उल्लंघन’

सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर जारी बहस के बीच आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संविधान धर्म आधारित कोटे की इजाजत नहीं देता। संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान में धर्म आधारित आरक्षण को स्वीकार नहीं किया गया है। ऐसा करने वाला कोई भी व्यक्ति हमारे संविधान निर्माता के खिलाफ जा रहा है।'

मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर उठे विवाद के बारे में पूछे गये सवाल पर संघ नेता ने कहा कि औरंगजेब का महिमामंडन किया गया, उसके भाई दारा शिकोह का नहीं, जो सामाजिक सद्भाव में विश्वास करने वाला व्यक्ति था। होसबाले ने कहा कि भारत के मूल्यों के खिलाफ जाने वाले लोगों को आदर्श बनाया गया। उन्होंने कहा, आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग भारत के लिए खतरा पैदा करते हैं। हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए जो भारतीय मूल्यों का समर्थन करते हैं। भाजपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में सवाल पर आरएसएस नेता ने कहा कि संघ पार्टी के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता।

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