नयी दिल्ली, 20 सितंबर (एजेंसी)
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों को मिले आरक्षण को संविधान में उल्लिखित 10 साल की अवधि से आगे बढ़ाने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 21 नवंबर को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह 104वें संविधान संशोधन अधिनियम की वैधता पर सुनवाई करेगी, जिसके तहत यह आरक्षण अगले 10 साल के लिए बढ़ाया गया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह पिछले संशोधनों के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को विस्तार दिए जाने की वैधता पर विचार नहीं करेगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम ने कहा कि मुख्य मुद्दा यह होगा कि क्या आरक्षण की अवधि बढ़ाने वाले संवैधानिक संशोधनों से संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन हुआ है। संविधान के अनुच्छेद 334 में कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण और मनोनयन के जरिये आंग्ल भारतीय समुदाय के विशेष प्रतिनिधित्व का विशेष प्रावधान एक निश्चित अवधि के बाद समाप्त हो जाएगा। शीर्ष अदालत ने संसद और राज्य विधानसभाओं में एससी/एसटी समुदायों को आरक्षण प्रदान करने वाले 79वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1999 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 2 सितंबर 2003 को मामले को पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया था।