नयी दिल्ली, 14 सितंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह पदोन्नति में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को आरक्षण की अनुमति देने वाले अपने फैसले पर दोबारा सुनवाई नहीं करेगा, क्योंकि यह निर्णय राज्यों को करना है कि वे इसे कैसे लागू करेंगे।
विभिन्न राज्यों में एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने में कथित तौर पर आ रही दिक्कतों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने राज्य सरकारों के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को निर्देश दिया कि वे राज्यों के मुद्दों की पहचान करें और 2 सप्ताह के भीतर अधिकतम 5 पन्नों में लिखित नोट दें।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली 3 सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम नागराज या जरनैल सिंह (मामले) दोबारा खोलने नहीं जा रहे। शीर्ष अदालत ने अपने पुराने आदेश को रेखांकित किया, जिसमें राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि वे ऐसे मुद्दे तय करें, जो उनके लिए अनूठे हैं, ताकि इन पर सुनवाई हो सके। न्यायालय ने कहा कि अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और अन्य द्वारा तय किए मुद्दे इस मामले का दायरा बढ़ा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसे कई मुद्दे हैं जिनका फैसला नागराज प्रकरण में हो चुका है। हम बहुत स्पष्ट हैं कि हम मामले को दोबारा खोलने के किसी तर्क या इस तर्क को मंजूरी नहीं देंगे कि इंदिरा साहनी मामले में दी गयी व्यवस्था गलत है।’ वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि राज्य कैसे फैसला करें कि कौन सा समूह पिछड़ा। उनके तर्क पर पीठ ने कहा, ‘हम यहां पर सरकार को यह सलाह देने के लिए नहीं हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। यह हमारा काम नहीं है कि सरकार को बताएं कि वह नीति कैसे लागू करे। यह स्पष्ट व्यवस्था दी गयी है कि राज्यों को इसे किस तरह लागू करना है और कैसे पिछड़ेपन तथा प्रतिनिधित्व पर विचार करना है। न्यायिक समीक्षा के अधीन राज्यों को तय करना है कि उन्हें क्या करना है।’
अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उच्च न्यायालयों द्वारा 3 अंतरिम आदेश पारित किए गए हैं, 2 में कहा गया है कि पदोन्नति की जा सकती है, जबकि एक उच्च न्यायालय के फैसले में पदोन्नति पर यथास्थिति कायम रखने को कहा गया है। उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार में 1400 पद (सचिवालय स्तर पर) रुके हुए हैं, क्योंकि इन पर नियमित आधार पर पदोन्नति नहीं की जा सकती। ये तीनों आदेश नियमित पदोन्नति से जुड़े हुए हैं। सवाल यह है कि क्या नियमिति नियुक्तियों पर पदोन्नति जारी रह सकती है और क्या यह आरक्षित सीटों को प्रभावित करेंगी।’
2018 में सुनाया था फैसला वर्ष 2018 में 5 जजों की संविधान पीठ ने सरकारी नौकरियों में एससी और एसटी की पदोन्नति में आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि राज्यों को इन समुदायों के पिछड़ा होने वाले ‘मात्रात्मक आंकड़े एकत्र’ करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा था कि वर्ष 2006 में एम नागराज मामले में दिए फैसले पर पुनर्विचार की भी जरूरत नहीं है।