नयी दिल्ली, 23 सितंबर (एजेंसी)
लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन और यूरोप की मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए ने 36 राफेल जेट की खरीद से संबंधित सौदे के हिस्से के रूप में भारत को उच्च प्रौद्योगिकी की पेशकश के ऑफसेट दायित्वों को अभी तक पूरा नहीं किया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। संसद में पेश इस रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि उसे विदेशी विक्रेताओं द्वारा भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने का एक भी मामला नहीं मिला है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रक्षा क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पाने वाले 63 क्षेत्रों में से 62वें स्थान पर रहा है। कैग के अनुसार, ‘डीआरडीओ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिये इंजन के स्वदेशी विकास में तकनीकी सहायता प्राप्त करना चाहता है। अब तक विक्रेताओं ने इस तकनीक के हस्तांतरण की पुष्टि नहीं की है।’
भारत की ऑफसेट नीति के तहत, विदेशी रक्षा उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को कुल खरीद अनुबंध मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत भारत में खर्च करना होता है। वह भारत में कल-पुर्जों की खरीद अथवा शोध व विकास केंद्र स्थापित कर यह खर्च कर सकते हैं।