सुरेश एस. डुग्गर
जम्मू, 27 अगस्त
पुलवामा हमले की जो परतें एनआईए ने खोली हैं वह कई चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन कर रही हैं। इन रहस्योद्घाटनों के मुताबिक जम्मू बार्डर का इस्तेमाल पुलवामा और कई हमलों के लिए इस्तेमाल हुआ था और पहली बार किसी हमले के लिए महिला आतंकी का भी इस्तेमाल हुआ था। पुलवामा हमले में डेढ़ साल बाद एनआईए की ओर से दायर चार्जशीट में आतंकी उमर फारूक के जम्मू-कठुआ बार्डर से प्रदेश में घुसने का जिक्र किया गया है। पुलवामा हमले को लेकर जैसे-जैसे एनआईए की जांच आगे बढ़ रही है, कई खुलासे सामने आ रहे हैं। दिल दहला देने वाला यह हमला पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की एक सोची समझी साजिश थी, जिसका ताना-बाना हमले से 2 साल पहले से ही बुना जा चुका था। इसके लिए बाकायदा आतंकियों को ट्रेनिंग लेने के लिए अफगानिस्तान भेजा गया था। तालिबानी आतंकी कैंप में उन्हें विस्फोट की ट्रेनिंग दी गई थी। एनआईए की जांच में अब इस मामले में शामिल इकलौती महिला आतंकी की भूमिका सामने आई है।
यही नहीं जांच के दौरान गिरफ्तार की गई अकेली महिला इंशा जान इस हमले के मास्टरमाइंड फारूक की करीबी थी। उसने हर संभव तरीके से अपने साथी आतंकियों की सहायता की थी। एनआईए द्वारा फाइल की गई चार्जशीट में दावा किया गया है कि 23 वर्षीय इंशा जान मार्च में सुरक्षाबलों द्वारा कश्मीर में मारे गए पाकिस्तानी मुख्य साजिशकर्ता मोहम्मद उमर फारूक की साथी थी। वह उसके साथ फोन और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से संपर्क में थी। एनआईए के अनुसार इंशा जान के पिता तारिक पीर को भी फारूक और उसके संबंधों के बारे में पता था। पुलवामा और आसपास के इलाकों में कई तरह की गतिविधियों में तारीक पीर ने उमर फारूक और उसके दो अन्य सहयोगियों की मदद की थी। साल 2018 और 2019 के बीच कई बार तो आतंकवादी उनके घर में ठहरे भी थे। इंशा और पीर ने उमर फारूक, समीर डार और आदिल अहमद डार को भोजन, आश्रय और अन्य रसद प्रदान की थी।