नयी दिल्ली, 28 फरवरी (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में निर्मित उत्पादों पर गर्व करने को भारत की आत्मनिर्भरता की पहली शर्त करार देते हुए रविवार को कहा कि जब प्रत्येक देशवासी ऐसा करेगा तो आत्मनिर्भर भारत अभियान सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर ‘राष्ट्रीय भावना’ बन जायेगा। उन्होंने विज्ञान को प्रयोगशाला से खेती-किसानी की ओर आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि इसे सिर्फ भौतिकी और रसायन तक सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि विज्ञान की शक्ति का ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में भी बहुत योगदान है।
आकाशवाणी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की ताजा कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि आज आत्मनिर्भर भारत का मंत्र देश के गांव-गांव पहुंच रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर कोलकाता के एक श्रोता रंजन के विचारों पर सहमति जताते हुए मोदी ने कहा, ‘आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है–अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है और प्रत्येक देशवासी जुड़ता है तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाता है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आसमान में अपने देश में बने तेजस लड़ाकू विमानों को कलाबाजियां करते देखते हैं, जब भारत में बने टैंक, भारत में बनी मिसाइलें, हमारा गौरव बढ़ाते हैं, जब समृद्ध देशों में हम भारत में निर्मित मेट्रो ट्रेन के डिब्बे देखते हैं और जब दर्जनों देशों तक भारत में बने कोरोना के टीके पहुंचते देखते हैं तो देशवासियों का माथा और ऊंचा हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा ही नहीं है कि बड़ी-बड़ी चीजें ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी। भारत में बने कपड़े, भारत के प्रतिभाशाली कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तकला के सामान, भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, भारत के मोबाइल, हर क्षेत्र में, हमें इस गौरव को बढ़ाना होगा।’ उन्होंने कहा कि जब इसी सोच के साथ देश आगे बढ़ेगा तभी सही मायने में भारत आत्मनिर्भर बन पाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में विज्ञान की शक्ति का बहुत योगदान भी है। हमें विज्ञान को ‘लैब टू लैंड’ के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा।’