टेरिटोरियल आर्मी में अब महिलाओं को शामिल करने की तैयारी
सेना ने ‘पायलट प्रोजेक्ट’ के तौर पर प्रादेशिक सेना बटालियन में महिला कैडरों को शामिल करने पर विचार किया है। शुरुआत में उनकी भर्ती कुछ बटालियन तक ही सीमित रहेगी। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी। इस कदम का उद्देश्य सेना में महिलाओं के लिए धीरे-धीरे और अधिक अवसर खोलना है।
प्रादेशिक सेना अपने वर्तमान स्वरूप में 18 अगस्त, 1948 को प्रादेशिक सेना अधिनियम के लागू होने के साथ अस्तित्व में आई। इसका औपचारिक उद्घाटन 9 अक्तूबर, 1949 को प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने किया था। सूत्रों के अनुसार, सेना ने ‘पायलट प्रोजेक्ट’ के तौर पर प्रादेशिक सेना की बटालियन में महिला कैडर को शामिल करने पर विचार किया है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में उनकी भर्ती कुछ बटालियन तक ही सीमित रहेगी और शुरुआती ‘फीडबैक’ के आधार पर बाद में अन्य बटालियन में भी उनकी तैनाती हो सकती है।
सरकार सशस्त्र बलों में ‘नारी शक्ति’ की भूमिका पर ज़ोर देती रही है। मार्च 2022 में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा था कि सशस्त्र बलों में लड़ाकू सैनिक की भूमिकाओं में महिलाओं की तैनाती एक निरंतर विकसित होने वाली प्रक्रिया है और इसकी नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में भारतीय सेना में महिलाओं को सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के अलावा 10 शाखाओं और सेवाओं में कमीशन दिया जा रहा है।’
आयुसीमा पार कर चुके लोगों को वर्दी में देश सेवा का मौका
संगठनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा, प्रादेशिक सेना भारत के सक्षम स्वयंसेवी नागरिकों, विशेषकर उन लोगों को, जो नियमित सेना में भर्ती होने की आयु से अधिक उम्र के हैं, वर्दी में राष्ट्र की सेवा करने का अवसर भी प्रदान करती है।
