नयी दिल्ली, 24 सितंबर (एजेंसियां)
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ जांच कर रही एजेंसियों को ऐसा इनपुट मिला है कि इस संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 जुलाई को पटना यात्रा के दौरान अशांति पैदा करने के इरादे से प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था। पीएफआई और संबंधित संस्थाओं के खातों में पिछले कुछ वर्षों में 120 करोड़ रुपये से अधिक जमा हुए और रकम का बड़ा हिस्सा नकद था। यह खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दो अलग-अलग रिमांड रिपोर्ट में किया गया है। एक रिपोर्ट लखनऊ में विशेष अदालत के समक्ष केरल के कोझीकोड निवासी मोहम्मद शफीक पायथ के खिलाफ और दूसरी दिल्ली में विशेष जज के समक्ष परवेज अहमद के खिलाफ पेश की गयी है। यह दोनों 22 सितंबर को 11 राज्यों में एनआईए, ईडी और पुलिस की छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किए गये पीएफआई के 106 नेताओं व कार्यकर्ताओं में शामिल हैं।
भारत के खिलाफ नफरत फैलाई
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है, जिसमें पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था। एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले में दाखिल रिमांड रिपोर्ट में कहा है, पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था। सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने फैला रहा था। संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएफआई ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, अलकायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया। इसमें कहा गया है कि इस्लामी चरमपंथी संगठन ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची।
पुणे में लगे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे
पीएफआई के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाले प्रदर्शनकारियों का एक वीडियो सामने आया है। इस घटना के बाद महाराष्ट्र में भाजपा के कुछ नेताओं ने इस तरह की नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।