नयी दिल्ली, 28 सितंबर (एजेंसी)
सरकार ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर कड़े आतंकवाद रोधी कानून के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। पीएफआई के अलावा प्रतिबंधित संगठनों में ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफ), ‘ऑल इंडिया इमाम काउंसिल’ (एआईआईसी), ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन’ (एनसीएचआरओ), ‘नेशनल विमेंस फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, ‘एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन’ और ‘रिहैब फाउंडेशन (केरल)’ के नाम शामिल हैं। सोलह साल पुराने संगठन पीएफआई के खिलाफ मंगलवार को सात राज्यों में छापेमारी के बाद 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था। इससे पांच दिन पहले भी देशभर में पीएफआई से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की गई थी और करीब 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि काफी संख्या में संपत्तियों को भी जब्त किया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के तार जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी जुड़े हैं। जेएमबी और सिमी दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं। अधिसूचना में कहा गया कि पीएफआई के ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों के भी कई मामले सामने आए हैं। इस अधिसूचना में दावा किया गया कि पीएफआई और उसके सहयोगी देश में असुरक्षा की भावना फैलाकर एक समुदाय में कट्टरता बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि पीएफआई के कुछ कार्यकर्ता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था।
संपत्ति हो सकती है जब्त, फ्रीज हो सकते हैं बैंक खाते
जब किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित किया जाता है, तो केंद्र सरकार उसकी संपत्ति को कुर्क कर सकती है। बैंक खातों को फ्रीज किया जा सकता है। प्रतिबंध आदेशों से असंतुष्ट कोई भी 14 दिनों के भीतर जिला न्यायाधीश की अदालत में जा सकता है। केंद्र अब न्यायाधिकरण के पास जाएगा। संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं, इस पर न्यायाधिकरण छह महीने के भीतर फैसला करेगा।
राजनीतिक शाखा को मिला करोड़ों का चंदा
पीएफआई की राजनीतिक शाखा मानी जाने वाली ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एसडीपीआई) को 2018-19 से 11 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला है। निर्वाचन आयोग के पास उपलब्ध आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। दिल्ली में एक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के रूप में एसडीपीआई का गठन जून 2009 में किया गया था और अप्रैल 2010 में निर्वाचन आयोग के पास इसे पंजीकृत कराया गया। बता दें कि प्रतिबंध को एसडीपीआई ने ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं : भाजपा
भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने एक ट्वीट में कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं।’ केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, ‘यह नया भारत है। जो देश के खिलाफ काम करेगा उसका फ़न कुचला जाएगा।’ भाजपा महासचिव सीटी रवि ने अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘पीएफआई को कांग्रेस ने पोषित किया। पीएफआई सिमी का ‘एक अवतार’ है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘यह केंद्र सरकार द्वारा उचित समय पर लिया गया मजबूत निर्णय है।’
अजमेर दरगाह ने किया स्वागत जयपुर : अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख जैनुल आबेदीन अली खान ने प्रतिबंध के फैसले का स्वागत किया। खान ने कहा, ‘देश सुरक्षित है तो हम सुरक्षित हैं। जो एकता और संप्रभुता को तोड़ने की बात करता है उसे देश में रहने का अधिकार नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने खुद दो साल पहले पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।’
आरएसएस पर भी लगे प्रतिबंध : विपक्ष
केरल में कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कहा कि आरएसएस को भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी हमेशा से सभी प्रकार की सांप्रदायिकता के खिलाफ रही है, हम बहुसंख्यकवाद या अल्पसंख्यकवाद के आधार पर धार्मिक उन्माद में फ़र्क़ नहीं करते।’ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा, ‘आरएसएस हिंदू कट्टरपंथ से जुड़ा है। इसे पहले प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’ माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा।’