मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को वहां से हटाने के लिए यहां अदालत में एक याचिका दायर की गयी है। लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री सहित 6 लोगों ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंध समिति के मध्य 5 दशक पूर्व हुए समझौते को अवैध बताते हुए उसे निरस्त कर मस्जिद की पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट को सौंपने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता पूरी तरह से गलत है। वादियों के अधिवक्ता ने बताया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट के नाम पर है। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किया गया समझौता गलत है। इसलिए समझौते को निरस्त करते हुए मस्जिद को हटाकर मंदिर की जमीन उसे वापस करने की मांग की गई है। इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व शाही ईदगाह ट्रस्ट प्रबंध समिति को भी प्रतिवादी बनाया गया है। इस संबंध में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों व कानूनवेत्ताओं से परामर्श के बाद उचित कार्रवाई किए जाने की बात कही है। -एजेंसी
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।