नयी दिल्ली, 27 जून (एजेंसियां)
महाराष्ट्र में विधानसभा उपाध्यक्ष की ओर से जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र और डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही विधायक दल के नेता अजय चौधरी और चीफ व्हिप प्रभु को भी कोर्ट ने नोटिस देकर 5 दिन में जवाब देने को कहा है। सुप्रीमकोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को करेगा। इस तरह शिंदे गुट को कुछ राहत मिली है। सुप्रीमकोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों को राहत प्रदान करते हुए कहा कि संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए।
हालांकि सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट ने पूछा कि उन्होंने बंबई हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया? बागी विधायकों की ओर से वकील ने कहा कि मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई का माहौल नहीं है और विधायकों को जान का खतरा है। उनके घरों पर हमले हो रहे हैं। शिवसेना के बागी विधायकों ने न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे नीत समूह ‘अल्पमत’ में है और सरकारी तंत्र को ‘नष्ट करने की कोशिश’ कर रहा है। शिंदे गुट ने नबाम रेबिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि विधानसभा के उपाध्यक्ष को अयोग्यता याचिका पर निर्णय करने का अधिकार नहीं है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें विधानसभा में बहुमत परीक्षण नहीं कराए जाने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि वे किसी भी अवैध कदम के खिलाफ उसका रुख कर सकते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को शिवसेना के 39 बागी विधायकों और उनके परिवार के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा करने का निर्देश भी दिया। महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने उन्हें बागी विधायकों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को हलफनामा रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील के उस बयान को भी रिकॉर्ड में लिया कि बागी विधायकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।