उदयपुर, 13 मई (एजेंसी)
‘परिवारवाद’ के आरोपों का अकसर सामना करने वाली कांग्रेस अब ‘एक परिवार, एक टिकट’ की व्यवस्था बनाने पर विचार कर रही है। हालांकि इस प्रस्ताव को सहमति मिलने की स्थिति में इसके साथ यह प्रावधान भी होगा कि एक परिवार के किसी दूसरे सदस्य को टिकट तभी मिलेगा जब वह पार्टी के लिए कम से कम पांच साल तक काम करे। पार्टी महासचिव अजय माकन के अनुसार, चिंतन शिविर में चर्चा के लिए ऐसा प्रस्ताव आया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा मानना है कि बदलते समय के साथ संगठन का ढांचा नहीं बदला है। अभी भी काम का ढांचा पुराना है और इसमें आमूलचूल बदलाव नहीं हुआ है।’
चिंतन शिविर के लिए बनी संगठन संबंधी समन्वय समिति के सदस्य माकन के अनुसार, ‘एक परिवार, एक टिकट पर सहमति बन रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी पुराने नेता का बेटा एकाएक चुनाव लड़ ले। अगर किसी को चुनाव लड़ना है तो उसे संगठन के लिए अपने पांच साल देने होंगे।’ इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने की स्थिति में गांधी-नेहरू परिवार से राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा के अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ रहेगा क्योंकि प्रियंका 2019 के शुरू में सक्रिय राजनीति में उतरी थीं। इसके साथ ही, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पुत्र वैभव गहलोत के एक साथ चुनाव लड़ने में दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘हम लोग हमेशा अक्सर चुनाव के लिए सर्वेक्षण एजेंसियों की सेवा लेते हैं। यह चर्चा हुई है और सर्वसम्मति है कि कांग्रेस का अपना ‘पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट’ होना चाहिए।’ उन्होंने यह भी बताया कि संगठन में स्थानीय समिति से लेकर कांग्रेस कार्य समिति तक, हर समिति में 50 प्रतिशत स्थान 50 साल से कम उम्र के लोगों को दिए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। चिंतन शिविर के लिए बनी राजनीतिक मामलों की समन्वय समिति के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के खिलाफ गठबंधन की संभावना पर कहा, ‘पहले तो हम अपने घर को सही ढंग से व्यवस्थित करना चाहते हैं। हम कांग्रेस को बहुत अधिक सक्रिय और शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। फिर गठबंधन की बात करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘अगर आपका अपना कोई निवेश नहीं होगा, तो कौन सा साझेदार आकर कहेगा कि वह आपके साथ पैसे का निवेश करेगा।’
डर का माहौल बनाना है पीएम का एजेंडा : सोनिया
शिविर की शुरुआत के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘चिंतिन शिविर हमें यह अवसर देता है कि हम देश के सामने खड़ी उन चुनौतियों पर चर्चा करें जो भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) द्वारा पैदा की गई हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘यह स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री और उनके साथियों की ओर से ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ की जो बात की जाती है उसका क्या मतलब है? इसका मतलब निरंतर ध्रुवीकरण करना और डर का माहौल बनाना है।’ उन्होंने यह आरोप लगाया कि इस सरकार के ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ का मतलब अल्पसंख्यकों को डराना है जबकि अल्पसंख्यक देश के बराबर के नागरिक हैं। इस सरकार के ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ का मतलब राजनीतिक विरोधियों को डराना धमकाना, उन्हें बदनाम करना और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर उन्हें जेल में डालना है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे संगठन के समक्ष परिस्थितियां अभूतपूर्व हैं। … हमें सुधार की सख्त जरूरत है। रणनीति में बदलाव की जरूरत है। रोजाना काम करने के तरीके में परिवर्तन की जरूरत है।’
गोपनीयता पर पूरा जोर, मोबाइल भी प्रतिबंधित
शिविर में राजनीति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था, संगठन, किसान एवं कृषि तथा युवाओं से जुड़े विषयों पर छह अलग-अलग समूहों में 430 नेता चर्चा कर रहे हैं। इन समूहों की बैठकों की गोपनीयता रखने के मद्देनजर ही इसमें शामिल नेताओं को मोबाइल फोन अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि बैठक स्थलों पर डेलीगेट के अलावा कोई और मौजूद नहीं रहेगा। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अतीत के कुछ अनुभवों को देखते हुए इन बैठकों में गोपनीयता पर जोर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में सोनिया गांधी ने भी इस बात का उल्लेख किया कि इन बैठकों में जो बातें होती हैं वो सब बाहर चली जाती हैं।