नयी दिल्ली, 16 अगस्त (एजेंसी)
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों में छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगा। केंद्र ने संक्षिप्त हलफनामा दायर कर कहा कि पेगासस जासूसी के आरोपों को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाएं अटकलों, अनुमानों और मीडिया में आई अपुष्ट खबरों पर आधारित हैं। हलफनामे में सरकार ने कहा कि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही इस मुद्दे पर संसद में रुख स्पष्ट कर चुके हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस बात पर चर्चा की कि क्या संक्षिप्त सीमित हलफनामा दायर करने वाली केंद्र सरकार को विस्तृत हलफनामा दायर करना चाहिए। मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
अदालत इस्राइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र का हलफनामा यह नहीं बताता कि सरकार या उसकी एजेंसियों ने जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘हम एक संवेदनशील मामले को देख रहे हैं और ऐसा लगता है कि इसे सनसनीखेज बनाने के प्रयास हो रहे हैं… यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होगा।’ सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने पीठ से कहा कि यह मामला बेहद तकनीकी है और इसके पहलुओं को देखने के लिये विशेषज्ञता की जरूरत है, हम इस क्षेत्र के प्रमुख तटस्थ विशेषज्ञों की नियुक्ति करेंगे।