हरिद्वार, 6 अप्रैल (एजेंसी)
महाकुंभ के दौरान यहां मंगलवार को हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर गंगापूजन के दौरान 151 आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चार एवं शंखनाद किया गया। श्री गंगा सभा की ओर से महाकुंभ के सफल और शांतिपूर्ण आयोजन के लिए हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर हुए महापूजन के धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ ही श्रीगंगा सभा के पदाधिकारियों और 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि साधु-संतों ने अपने-अपने स्थान पर कलश, शंख, घंटी एवं पूजन सामग्री के साथ मां गंगा का ध्यान किया। इस दौरान, अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री महंत हरि गिरि, निरंजनी अखाड़े के सचिव रवीन्द्रपुरी, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल, नगर विकास मंत्री वंशीधर भगत, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, कुंभ मेले की व्यवस्थाओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर जब हरिद्वार के तीन संस्कृत महाविद्यालयों से आये 151 आचार्यों ने एक साथ मंत्रों का उच्चारण किया तो वहां बहुत ही दिव्य वातावरण बन गया। मंत्रोच्चारण के बाद मां गंगा का पूजन, नैवेद्य अर्पण के साथ महाकुंभ- 2021 के सफल आयोजन की कामना की गई। गंगा आरती के बाद 151 आचार्यों ने जब शंखनाद किया तो पूरा हरकी पैड़ी परिसर उनकी ध्वनि से गुंजायमान हो उठा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने मां गंगा से कुम्भ के सफल आयोजन और सभी के कल्याण की कामना की। मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘सरकार दिव्य और भव्य के साथ ही सुरक्षित कुंभ का आयोजन करने के लिए संकल्पित है।’
गंगा पूजन में मुख्य सचिव को देख संत नाराज़
हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर हुए गंगा पूजन के दौरान उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश को देखकर संत खफा हो गए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने मुख्य सचिव की मौजूदगी पर आपत्ति प्रकट करते हुए कहा कि गंगा पूजन में केवल हरिद्वार के जिलाधिकारी, मेलाधिकारी, मेला वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मुख्यमंत्री, अखाड़ा परिषद और गंगा सभा के अलावा और किसी को आने का अधिकार नहीं है। हालांकि, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा संतों को नमन कर शांत होने का आग्रह करने पर संत शांत हो गए। बाद में मीडिया से बातचीत में महंत गिरी ने कहा कि मुख्य सचिव के कारण ही पूरा कुंभ मेला बिगड़ा है। महंत ने कहा कि उनका मेले में पूजन में आने का कोई कार्यक्रम नहीं था, फिर भी वह आये। उन्होंने कहा कि यह गलत परंपरा है।