Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

Mahakumbh 2025 : गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद ‘देवालय बस' से तीर्थाटन कर रहे स्वामी सचिदानंद, रखा है विश्व का सबसे वजनी ‘स्फटिक' शिवलिंग

Mahakumbh 2025 : गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद ‘देवालय बस' से तीर्थाटन कर रहे स्वामी सचिदानंद, रखा है विश्व का सबसे वजनी ‘स्फटिक' शिवलिंग

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

राजेंद्र गुप्ता/महाकुम्भ नगर, 5 जनवरी (भाषा)

Mahakumbh 2025 : एक सप्ताह में प्रारंभ होने जा रहे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम में साधु संत अपनी कुटिया लगभग बसा चुके हैं। ऐसे में इस मेले में एक ऐसे संत भी हैं जो कुटिया में नहीं बल्कि एक बस में प्रवास करते हैं जहां एक संपूर्ण देवालय भी स्थापित है।

Advertisement

सेक्टर-18 में संगम लोअर मार्ग पर अलोपशंकरी चौराहे के पास बन रहे शिविर में पिछले एक माह से खड़ी सफेद रंग की बस सभी का ध्यान आकर्षित कर रही है जिसमें कथित तौर पर विश्व का सबसे वजनी ‘स्फटिक' शिवलिंग रखा है। स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य जी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘वर्ष 1992 में उज्जैन सिंहस्थ कुम्भ के लिए उनके गुरु जी श्री लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी जी ने यह बस तैयार कराई थी जिसे उन्होंने नाम दिया ‘श्री श्री हरसिद्धी'। यह बस हर सिद्धियों की प्रदाता है। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण तीर्थों का भ्रमण किया।''

Advertisement

डा. श्री लक्ष्मण चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज, धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य थे और वाराणसी में अखिल भारतीय धर्म संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे थे। उन्होंने बताया, “गुरु जी ने बस के ऊपर एक चौकोर टंकी बनवाई थी जिसमें उन्होंने उन सभी तीर्थों, सरोवरों का पवित्र जल एकत्र किया जिनका शास्त्रों, पुराणों में वर्णन है। फिर सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का इस जल से अभिषेक किया और यहां रखे स्फटिक के शिवलिंग का उन 12 ज्योतिर्लिंगों से स्पर्श कराया।”

स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य ने बताया कि 2001 में गुरु जी काशी में ब्रह्मलीन हो गए जिसके बाद उनकी शिष्या गुरु मां डॉ. कल्याणी चैतन्य ब्रह्मचारिणी (अम्मा जी) ने भी अपना पूरा जीवन इसी बस में व्यतीत किया और 2023 में गुरु मां ने भी शरीर त्याग दिया। उन्होंने बताया कि गुरु जी और गुरु माता ने इसी बस में जप-तप किया, तीर्थ यात्रा की।

उन्होंने बताया, ‘‘पहले इस बस में रसोई, शौचालय सभी सुविधाएं थीं। इस बस में पीछे का हिस्सा खोलकर इसे मंच का रूप दिया जा सकता है। इस बस में ही शुद्धता के साथ भोजन प्रसाद तैयार करने के लिए अनाज के भंडारण की व्यवस्था है।'' स्वामी सच्चिदानंद चैतन्य ने बताया कि इतने पुराने मॉडल की इस गाड़ी का टाटा के पास कोई सामान (कल पुर्जा) नहीं है, लेकिन मैकेनिक इतनी पुरानी गाड़ी (टाटा 1210 मॉडल) का दर्शन करके आनंदित हो जाते हैं और कहीं ना कहीं से जुगाड़ कर गाड़ी बना देते हैं।

बस में रखे स्फटिक शिवलिंग के बारे में उन्होंने बताया कि यह शिवलिंग उनके गुरु ने इस बस में स्थापित किया जिसका वजन 65 किलो है और दावा किया कि यह विश्व का सबसे बड़ा स्फटिक का शिवलिंग है।

Advertisement
×