नयी दिल्ली, 6 अगस्त (ट्रिन्यू/एजेंसी)
राम मंदिर का शिलान्यास हो जाने के बाद अब आगे की रणनीति को लेकर कांग्रेस दुविधा में है। दूसरी ओर भाजपा खुल कर मैदान में कूद गई है। भूमि पूजन के समय राम का गुणगान करने वाली कांग्रेस अब खामोश है। पार्टी में विभाजन साफ है। केरल के त्रिशूर से सांसद ने तो पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा कि पार्टी ‘अति धार्मिक राष्ट्रवाद’ के पीछे नहीं भाग सकती।
सांसद टीएन प्रतापन ने भूमि पूजन के दिन मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के रुख पर आपत्ति जतायी है। सोनिया को लिखे पत्र में प्रतापन ने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का रुख तो स्वीकार्य है, लेकिन उन्होंने (प्रतापन ने) कमलनाथ के हनुमान चालीसा पाठ, कांग्रेस के कार्यालय पर दीपोत्सव की शुरुआत करने और अन्य नेता दिग्विजय सिंह द्वारा निर्माण शुरू होने का स्वागत करने का विरोध किया है।
कांग्रेस दुविधा में है। प्रियंका व राहुल के बयान राम का गुणगान हैं, वे लेकिन मंदिर निर्माण पर चुप हैं। वैसे कांग्रेस के कुछ नेताओं ने निजी वार्ता में राम मंदिर का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को देने की कोशिश भी की। खास बात तो यह है कि शिलान्यास के दिन कांग्रेस ने अपने प्रवक्ताओं को टीवी चैनलों की बहस में जाने से भी रोक दिया। सोनिया गांधी के साथ- साथ यही स्थिति पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं की है। संभवत: कांग्रेस को खुलकर सामने आ जाने से मुस्लिम वोट बैंक के खिसकने की आशंका है। वैसे पार्टी का एक वर्ग यह भी मानता है कि इस मुद्दे पर खामोशी से बहुसंख्यक समाज में गलत संदेश जा सकता है।
दूसरी ओर भाजपा इस मुद्दे को अब भुनाने की कोशिश में जुट गई है। अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण भाजपा का लंबे समय से प्रमुख मुद्दा रहा है। पार्टी के चुनावी संकल्प पत्रों में इसका उल्लेख
रहा है।
प्रियंका के बयान से माकपा, मुस्लिम लीग नाराज
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा राम मंदिर के भूमिपूजन के स्वागत पर केरल की सत्तारूढ़ माकपा हैरान है तो कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) भी नाखुश है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रियंका गांधी के बयान पर कहा कि अगर कांग्रेस का धर्मनिरपेक्षता को लेकर ‘निश्चित रुख’ होता तो देश आज ऐसे हालात का सामना नहीं कर रहा होता। आईयूएमएल ने तो एक प्रस्ताव पारित करके राम मंदिर निर्माण पर प्रिंयका के बयान पर अप्रसन्नता जताई। आईयूएमएल के राष्ट्रीय नेतृत्व की बैठक में पार्टी ने प्रस्ताव को स्वीकार किया और कहा कि बयान गलत समय पर दिया गया।