मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Karnataka Power Politics कांग्रेस की पावर पॉलिटिक्स: सिद्धरमैया–शिवकुमार का ‘नाश्ता मिलन’ क्या कहता है

कर्नाटक की सत्ता राजनीति इन दिनों नाश्ते की मेज पर तय होती दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार की लगातार हो रही मुलाकातों ने कांग्रेस सरकार के भीतर नेतृत्व खींचतान, पावर बैलेंस और बेलगावी विधानसभा...
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार बेंगलुरु स्थित आवास पर नाश्ता बैठक के दौरान। पीटीआई
Advertisement

कर्नाटक की सत्ता राजनीति इन दिनों नाश्ते की मेज पर तय होती दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार की लगातार हो रही मुलाकातों ने कांग्रेस सरकार के भीतर नेतृत्व खींचतान, पावर बैलेंस और बेलगावी विधानसभा सत्र से पहले पार्टी की रणनीति को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार सुबह सिद्धरमैया जब शिवकुमार के सदाशिवनगर स्थित आवास पहुंचे और दोनों ने साथ नाश्ता किया, तो यह सिर्फ एक सौहार्द भेंट नहीं बल्कि राजनीतिक संदेशों से भरा कदम माना गया।

Advertisement

पांच दिनों के भीतर यह दूसरी नाश्ता मुलाकात है, जिससे साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस आलाकमान सत्र से पहले किसी भी अस्थिरता या नेतृत्व विवाद की धार को सार्वजनिक रूप से कुंद करना चाहता है। राजनीतिक विश्लेषक इसे ‘मैनेज्ड यूनिटी’ बताते हैं, जहां दिखावे की एकजुटता के जरिए सरकार के भीतर चल रहे दबाव और खेमेबाजी को पर्दे में रखने की कोशिश की जा रही है।

सिद्धरमैया के पहुंचने पर शिवकुमार और उनके भाई, पूर्व सांसद डी. के. सुरेश ने स्वागत किया। इसके बाद दिए गए बयानों में भी सत्ता समीकरण की झलक साफ दिखी।

शिवकुमार ने कहा कि वह और सिद्धरमैया ‘भाइयों की तरह काम कर रहे हैं’ और कांग्रेस में किसी गुटबाजी की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने मीडिया पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाकर पार्टी की एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की। लेकिन जानकारों का मानना है कि यह बयान अंदरूनी दबाव को मैनेज करने और अपनी स्थिति स्पष्ट करने का एक जरूरी प्रयास है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान फिलहाल किसी बदलाव के मूड में नहीं है और बेलगावी सत्र से पहले सिद्धरमैया की स्थिति पूरी तरह मजबूत मानी जा रही है। नाश्ते की यह कूटनीति उसी रणनीति का हिस्सा है जिसमें संदेश दिया गया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित है और फिलहाल किसी बड़े फेरबदल की संभावना नहीं है।

नेतृत्व पर पूछे गए सवाल पर दोनों नेताओं ने दोहराया कि वे आलाकमान के फैसले को अंतिम मानेंगे।

लेकिन सियासी संकेत साफ हैं कि नाश्ता मिलन कर्नाटक में पावर गेम के अगले चरण का संकेत देता है, जहां सार्वजनिक एकता और निजी महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन साधने की कोशिश जारी है।

 

 

Advertisement
Tags :
Congress PoliticsKarnatakaShivakumarSiddaramaiahकर्नाटककांग्रेस राजनीतिशिवकुमारसिद्धरमैया
Show comments