नयी दिल्ली, 21 फरवरी (एजेंसी)
पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को विस्तार देने के लिये 10वें दौर की सैन्य वार्ता के दौरान भारत और चीन ने व्यापक चर्चा की। वार्ता करीब 16 घंटे चली। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ मोल्डो सीमा बिंदु पर कोर कमांडर स्तरीय वार्ता शनिवार सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई और रविवार तड़के 2 बजे खत्म हुई। सूत्रों ने कहा कि वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग जैसे गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। वार्ता के बारे में हालांकि अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
यह बातचीत दोनों सेनाओं के पेंगाेंग झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से सैनिकों व हथियारों की वापसी के पूरा होने के दो दिन बाद हुई। माना जा रहा है कि भारत ने बातचीत के दौरान क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देप्सांग जैसे इलाकों से वापसी प्रक्रिया तेज करने पर जोर दिया। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया, जो लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिउ लिन ने किया, जो चीनी सेना के दक्षिणी शिनजियांग जिले के कमांडर हैं।
सेना की बहादुरी पर संदेह कर रही कांग्रेस
सलेम (एजेंसी) : भारत और चीन के बीच 9 दौर की वार्ता के बाद पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाआें के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हो गयी है। यह बात रविवार को यहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर भी प्रहार किया। यहां भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘दुर्भाग्य से कांग्रेस भारतीय सेना की बहादुरी पर संदेह कर रही है… क्या यह उन सैनिकों का अपमान नहीं है, जो देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं।’