सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 6 अगस्त
लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ मामले को लेकर फिलहाल गतिरोध जारी है। सूत्रों के अनुसार, भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच 5वें दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। यह बैठक चीन के अनुरोध पर मोलडो में रविवार को हुई थी जो 10 घंटे तक चली थी। इस बार की बातचीत में हैरानी यह है कि अब चीन ने उल्टा भारत से पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र से पीछे हटने को कहा है मगर इस प्रस्ताव को भारत ने ठुकरा दिया है। चीन ने भारत से फिंगर-4 से भी पीछे हटने को कहा जबकि भारत फिंगर-8 तक पैट्रोलिंग किया करता था और उसे फिंगर 8 को एलएसी मानता है। फिंगर 4 एलएसी के इस पार भारत के नियंत्रण वाला क्षेत्र रहा है। लेकिन मई महीने से चीनी सेना फिंगर-4 पर आ चुकी थी। बाद में बातचीत के बाद चीनी सेना फिंगर-5 पर चली गई। भारतीय सेना को अब भी चीनी सेना फिंगर-8 तक पैट्रोलिंग करने के लिए आगे नहीं बढ़ने दे रही। जिसका परिणाम यह है कि दोनों के बीच स्थित तनावपूर्ण है। चीन के प्रस्ताव का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की अध्यक्षता वाले स्टडी ग्रुप ने अध्ययन किया। जिसके बाद सेना ने हाटलाइन के जरिये चीन को बता दिया कि उसका प्रस्ताव भारत को मंजूर नहीं है। रविवार को हुई बातचीत में चीन भी पैंगोंग त्सो से पीछे नहीं हटने पर अड़ा रहा था।
रक्षा मंत्रालय ने चीनी अग्रेशन पर अपलोड किया गया डाक्यूमेंट हटाया
सेना अधिकारियों के बकौल, गोगरा हॉट स्प्रिंग के पैट्रोलिंग पॉइंट 17 और 17-ए से भी अब चीनी सेना पीछे नहीं हट रही और डिसइनगेजमेंट प्रक्रिया का पालन नहीं कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक डाक्यूमेंट अपलोड किया था जिसमें उसने स्वीकार किया है कि मई महीने से चीन लगातार एलएसी पर अपना अग्रेशन बढ़ाता जा रहा है खासतौर से गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा हॉट स्प्रिंग जैसे क्षेत्रों में। इस दस्तावेज के मुताबिक, 5 मई के बाद से चीन का यह आक्रामक रूप एलएसी पर नजर आ रहा है और 5 और 6 मई को ही गलवान वैली इलाके में भारत और चीन की सेना के बीच में हिंसक झड़प हुई थी। मगर रक्षा मंत्रालय ने चीन के अतिक्रमण को लेकर जो डॉक्यूमेंट अपने वेबसाइट पर अपलोड किया था आज उसे वेबसाइट पर से हटा लिया है।