नयी दिल्ली, 11 सितंबर (एजेंसी)
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में 4 महीने से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए बलों को सीमा से शीघ्र पीछे हटाने और तनाव बढ़ा सकने वाली किसी भी कार्रवाई से बचने समेत 5 सूत्री खाके पर सहमति जताई। दोनों देशों ने स्वीकार किया कि सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बृहस्पतिवार शाम को वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच समझौता हुआ।
उन्होंने बताया कि भारतीय पक्ष ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन द्वारा बड़ी संख्या में बलों और सैन्य साजो सामान की तैनाती का मामला उठाया और अपनी चिंता जताई। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि चीनी पक्ष बलों की तैनाती के लिए विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं दे सका। जयशंकर और वांग ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर मॉस्को में मुलाकात की।
बलों को सीमा से पीछे हटाने के होंगे प्रयास
सरकारी सूत्रों ने बताया कि पांच सूत्री समझौता में दोनों देशों ने बलों को सीमा से शीघ्र पीछे हटाने के प्रयास करने पर सहमति जताई। इस बात पर भी सहमति बनी कि दोनों देशों के जवानों को एक-दूसरे से उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए और सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। जयशंकर और वांग ने सहमति जताई कि दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए, जिसमें मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना शामिल है।
लद्दाख की स्थिति पर उच्चस्तरीय बैठक
नयी दिल्ली (एजेंसी) : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच हुए समझौते पर शुक्रवार को चर्चा की। सरकारी सूत्रों के अनुसार बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत तथा अन्य अधिकारी शामिल थे। बैठक में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे पर इस सप्ताह के शुरू में दोनों पक्षों के बीच हुए ताजा टकराव के मद्देनजर सुरक्षा परिदृश्य की समग्र समीक्षा भी की गई।