विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 मई
पश्चिमी देशों और चीन के पिज़्ज़ा, बर्गर और नूडल्स जैसे खाद्य पदार्थों के खानपान की अंधी दौड़ के कारण हमें किस क़दर चिंताजनक परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं, इसका अनुमान चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में छोटी और बड़ी आंत पर ज़ख्मों से पीड़ित मरीज़ों की अप्रत्याशित संख्या से सहज ही लगाया जा सकता है। मौक़े पर जाकर किए गए आकलन के अनुसार इस नामुराद छोटी और बड़ी आंत की बीमारी की चपेट में आए छोटे से लेकर बड़े तक 1500 मरीज़ रजिस्टर्ड हैं। आंतों की यह बीमारी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) कहलाती है। असल में आईबीडी हमारे पाचन तंत्र संबंधी दो मुख्य बीमारियां अल्सरेटिव कोलाइटिस व क्रोहन हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस से बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं। क्रोहन रोग मुंह से लेकर पूरी बड़ी आंत पर असर डालता है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है उनमें सामान्य तौर पर थकान, दस्त, ऐंठन, पेट में दर्द और पाचन से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। डॉक्टरों का मानना है हमें अपने पारंपरिक खान-पान की तरफ लौटना होगा क्योंकि बाहरी खाना हमारी पाचन शक्ति को कमजोर कर रहा है।
पीजीआई चंडीगढ़ की गेस्ट्रोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर उषा दत्ता ने खुलासा किया कि आईबीडी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है।
पीजीआई में आईबीडी के रजिस्टर्ड 1500 मरीजों में से 20 प्रतिशत चंडीगढ़ और 80 प्रतिशत हरियाणा, पंजाब, हिमाचल के हैं। हर महीने 30 से ज्यादा नये मरीज पीजीआई पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र वाले को हो सकती है, लेकिन सामान्यत: 20 से 42 साल के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि एक सप्ताह से ज्यादा दस्त होना, मल में रक्त आना, पेट दर्द रहना और शरीर में थकान हो तो इसे हलके में न लें। तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। उन्होंने बताया कि कई बार मल में रक्त की समस्या को बाबासीर समझकर लोग दवाइयां लेने लगते हैं। इससे मर्ज और बढ़ जाता है।
खुद न बनें डॉक्टर
गेस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि संबंधित लक्षण पर खुद ही दवा लेना हो सकता है खतरनाक। उन्होंने बताया कि आईबीडी का इलाज सही तरीके से कराने पर मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन बीच में ही इलाज छोड़ना जानलेवा हो सकता है। इलाज छोड़ने पर कैंसर के खतरे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि इलाज के दौरान मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर ही खान-पान रखना चाहिए। प्रोफेसर उषा दत्ता ने भी बाहर के खाने के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि डाइट पर कंट्रोल रखते हुए रोज एक्सरसाइज करें। उन्होंने कहा कि ट्रेवलिंग के दौरान बीमारी बढ़ जाती है। यदि होटल में रुकना पड़े तो ताजा खाना ही खाएं। सलाद को धोकर खाएं। दाल-चावल खा सकते हैं। फल ले सकते हैं। कड़ाही में एक बार इस्तेमाल तेल को रीयूज न करें। कच्ची घानी, सोयाबीन, नारियल और तिल के तेल का इस्तेमाल अच्छा है। गेस्ट्रोलॉजी विभाग की प्रोफेसर दत्ता और प्रोफेसर शर्मा ने पीजीआई के मरीजों के लिए आईबीडी कार्ड लॉच किया। इसमें मरीज की पूरी हिस्ट्री होगी।