नयी दिल्ली, 26 सितंबर (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सुधार की भारत की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने इसे समय की मांग बताया और सवाल उठाया कि आखिरकार विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को इस वैश्विक संस्था की निर्णय प्रक्रिया से कब तक अलग रखा जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि इस वैश्विक मंच के माध्यम से भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को प्राथमिकता दी है और अब वह अपने योगदान को देखते हुए इसमें अपनी व्यापक भूमिका देख रहा है। मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का जिस स्वरूप में गठन हुआ, वह उस समय के हिसाब से ही था, जबकि आज दुनिया एक अलग दौर में है। उन्होंने कहा, ‘21वीं सदी में हमारे वर्तमान, भविष्य की आवश्यकताएं और चुनौतियां कुछ और हैं। इसलिए विश्व समुदाय के सामने बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है।’ मोदी ने कहा कि सभी बदल जाएं और ‘हम न बदलें’ तो बदलाव लाने की ताकत भी कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं, लेकिन इसके साथ ही अनेक ऐसे उदाहरण हैं जो यूएन के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के सुधारों की प्रक्रिया के पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी अपने निर्णायक मोड़ तक पहुंच पाएगी। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र की निर्णय प्रक्रिया के ढांचे से अलग रखा जाएगा।
मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या रहती है, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधारा हैं। उन्होंने कहा, ‘जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है। उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?’
कोरोना से निपटने में संयुक्त राष्ट्र कहां है?
प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल खड़ा किया। मोदी ने कहा, ‘पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोविड-19 वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इससे निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली प्रतिक्रिया कहां है?’ यह सवाल उठाते हुए मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है। इसके साथ ही मोदी ने कहा ‘विश्व के सबसे बड़े टीका उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की टीका उत्पादन और टीका वितरण क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी।’ उन्होंने बताया कि भारत कोरोना वायरस के टीके के क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे दौर में है।