दिल ने फिर याद किया... गायिका सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण : The Dainik Tribune

दिल ने फिर याद किया... गायिका सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण

कर्नाटक के पूर्व सीएम एसएम कृष्णा, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला समेत 50 हस्तियां सम्मानित

दिल ने फिर याद किया... गायिका सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण

राष्ट्रपति भवन में बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पद्म सम्मान लेते (बाएं से) कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला एवं गाियका सुमन कल्याणपुर। -प्रेट्र

नयी दिल्ली, 22 मार्च (एजेंसी)

‘दिल ने फिर याद किया’, ‘तुमने पुकारा और हम चले आए’, ‘मेरा प्यार भी तू है’ जैसे कालजयी गीतों को आवाज देने वाली जानी-मानी गायिका सुमन कल्याणपुर को बुधवार को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में 50 हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया।

राष्ट्रपति ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा, जाने-माने उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला जैसी हस्तियों को भी सम्मानित किया। इसके अलावा जाने-माने स्टॉक मार्केट निवेशक राकेश झुनझुनवाला को मरणोपरांत पद्मश्री पुरस्कार दिया गया।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 106 पद्म पुरस्कार प्रदान करने को मंजूरी दी थी। इनमें से 50 लोगों को बुधवार को पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री प्रदान किये गये। एसएम कृष्णा को पद्म विभूषण प्रदान किया गया। वह कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में विदेश मंत्री थे और बाद में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। जाने माने वास्तुकार बाल कृष्ण दोशी (मरणोपरांत) को भी पद्म विभूषण प्रदान किया गया। कुमार मंगलम बिड़ला, दिल्ली स्थित प्रोफेसर कपिल कपूर, आध्यात्मिक नेता कमलेश पटेल और सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण प्रदान किया गया। पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं जिसमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री शामिल हैं। वर्ष 2019 के बाद सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न किसी को प्रदान नहीं किया गया है।

प्रसिद्ध सिख विद्वान डॉ. जग्गी भी पुरस्कृत

प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सिख विद्वान डॉ. रतन सिंह जग्गी को भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध सिख विद्वान डॉ. रतन सिंह को यह प्रतिष्ठित पुरुस्कार शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनके कीमती योगदान के लिए दिया गया है। 90 साल से भी अधिक उम्र के डा. जग्गी हिंदी और पंजाबी के प्रसिद्ध विद्वान हैं और उन्हें गुरमति और भक्ति लहर साहित्य पर विशेष महारत हासिल है।

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