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Haryana News : फ्लैट की रजिस्ट्री अनिवार्य, लेट हुए तो जेब होगी ढीली... लाखों की संख्या में लोगों ने नहीं करवाया प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन

सरकार को लग रही स्टाम्प ड्यूटी की चपत, मौजूदा कलेक्टर रेट देना होगा

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दिनेश भारद्वाज/चंडीगढ़, 10 अप्रैल (ट्रिब्यून न्यूज सर्विस)

Haryana News : हरियाणा की नायब सरकार ने स्टॉम्प ड्यूटी में हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। जिन लोगों ने अपने फ्लैट, प्लॉट, दुकान या शोरूम आदि की रजिस्ट्री नहीं करवाई है, उन्हें अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। उन्हें रजिस्ट्री के लिए अनिवार्य फीस और स्टॉम्प शुल्क अधिक चुकाना पड़ सकता है। हालांकि एक बार के लिए सरकार ऐसे लोगों को मौका देगी, लेकिन इसके बाद मौजूदा कलेक्टर रेट के हिसाब से स्टॉम्प शुल्क लिया जाएगा।

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हरियाणा में थोड़ी बहुत नहीं बल्कि लाखों की संख्या में ऐसी प्रॉपर्टी है, जिनके कब्जे तो मालिकों ने ले लिए हैं लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं करवाई है। इस तरह के सर्वाधिक मामले फ्लैट्स से जुड़े हैं। डेवलेपर्स, बिल्डर्स, सोसायटियों तथा प्राधिकरण आदि के अलॉटी अपने लेजर बुक में अचल संपत्ति का हस्तांतरण (ट्रांसफर) किया जा चुका है। इतना ही नहीं, अलॉटियों को प्रॉपर्टी का कब्जा भी दिया जा चुका है, लेकिन वे रजिस्ट्री नहीं करवाते।

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माना जा रहा है कि स्टॉम्प शुल्क से बचने के चक्कर में लोगों द्वारा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं करवाई जाती। कब्जा लेने के बाद लोग इन प्रॉपर्टी में रह भी रहे हैं। बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने अपनी प्रॉपर्टी का कब्जा मिलने के बाद उसे किराये पर भी चढ़ा दिया है। इनमें बिजली-पानी व सीवरेज के कनेक्शन भी मिले हुए हैं। संबंधित सोसायटी का मासिक मेन्टेनेंस भी अदा किया जा रहा है लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई। रजिस्ट्री नहीं होने की वजह से सरकार को स्टॉम्प ड्यूटी का नुकसान हो रहा है।

अब बनाई जाएगी पॉलिसी

सरकार द्वारा इस संदर्भ में सर्वे करवाया गया। सर्वे की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि बड़ी संख्या में लोगों ने बरसों से प्रॉपर्टी का पंजीकरण नहीं करवाया है। ऐसे में अब सरकार ने इसके लिए पॉलिसी बनाने का फैसला लिया है। इसके तहत पुराने अलॉटियों को एक मौका दिया जाएगा ताकि वे सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी प्रॉपर्टी का पंजीकरण करवा लें। इस अवधि में पुराने कलेक्टर रेट के हिसाब से स्टॉम्प शुल्क लगेगा। समय बीतने के बाद मौजूदा कलेक्टर रेट के हिसाब से स्टॉम्प शुल्क जमा करवाना होगा।

स्टॉम्प शुल्क का बड़ा खेल

प्रॉपर्टी खरीद के मामलों में आमतौर पर कलेक्टर रेट के हिसाब से ही खरीद की जाती है। इसका फायदा यह होता है कि स्टॉम्प शुल्क कम देना होता है। हालांकि बैंक से लोन आदि के मामलों में कई बार कलेक्टर रेट से अधिक दाम पर भी जमीन की खरीद होती है। कलेक्टर रेट सरकार हर वर्ष संशोधित करती है। इस बार भी कलेक्टर रेट में काफी बढ़ोतरी की गई है। अभी तक के नियमों में वही कलेक्टर रेट लागू होता है, जिस कलेक्टर रेट में प्रॉपर्टी खरीदी गई। नये नियमों में मौजूदा कलेक्टर रेट देना होगा। ऐसे में प्रॉपर्टी चाहे कितने ही साल पहले खरीदी हो।

बजट में भी मिल चुका संकेत

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी वर्ष 2025-26 के बजट में भी इस बात का संकेत दे चुके हैं। बजट भाषण में स्पष्ट किया गया था कि अलॉटियों को रजिस्ट्रेशन के लिए एक निश्चित समय दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) के स्तर पर इस संदर्भ में कवायद शुरू हो चुकी है। जल्द ही सरकार की ओर से इस बारे में हिदायतें जारी की जा सकती हैं। इतना ही नहीं, बिल्डरों को भी बाध्य किया जाएगा कि वे प्रॉपर्टी का कब्जा रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही दें।

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