सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 25 फरवरी
अमूमन 6 महीनों तक बर्फ से बंद रहने वाला लेह राजमार्ग इस माह के अंत में गुलजार होने जा रहा है। बीआरओ की टीम ने 28 फरवरी को नेशनल हाईवे 1डी को खोलने की घोषणा की है। इस बार यह करीब ढाई महीने पहले ही खोला जा रहा है। करगिल से मीनामार्ग तक चल रहे बर्फ हटाने के कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि तीसरी 3 महीने बाद ही हाईवे खुलने जा रहा है। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था। 28 फरवरी तक मार्ग खोलने का काम निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि बर्फ हटाने के लिए 4 डोजर, 2 स्नो कटर लगातार लगाए गए हैं। एक डोजर और एक स्नो कटर मशीन को स्टैंड बाई पर रखा गया है।
श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर इस माह के अंत तक वाहन दौड़ने लगेंगे। लद्दाख में सर्दियों के 6 महीनों के लिए स्टाक जुटाने में अगले 5 महीने अहम होंगे। जरूरत का सामान जुटाने के लिए मार्च से सितंबर के बीच ट्रकों के करीब 30 हजार से ज्यादा फेरे लगेंगे।
राजमार्ग को सुचारू बनाने की खातिर दिन-रात दुनिया के सबसे खतरनाक मौसम से जूझने वाले इन कर्मियों के लिए यह खुशी की बात हो सकती है कि पिछले 3 सालों से किसी हादसे से उनका सामना नहीं हुआ है। सोनमर्ग से जोजिला तक का 24 किमी का हिस्सा बीकन के हवाले है और जोजिला से द्रास तक का 39 किमी का भाग प्रोजेक्ट हीमांक के पास। बीकन के कर्मी इस ओर से मार्ग से बर्फ हटाते हुए द्रास की ओर बढ़ते हैं और प्रोजेक्ट हीमांक के जवान द्रास से इस ओर।
काबिले सलाम सिर्फ बीआरओ के कर्मी ही नहीं बल्कि इस राजमार्ग के साल में कम से कम 6 महीनों तक बंद रहने से दुनिया से कटे रहने वाले द्रास, लेह और करगिल के नागरिक भी हैं। इनमें रहने वालों के लिए साल में छह महीने ऐसे होते हैं जब जिन्दगी बोझ बन जाती है। असल में छह महीने यहां के लोग न तो घरों से निकलते हैं और न ही कोई कामकाज कर पाते हैं। जमा पूंजी खर्च करते हुए पेट भरते हैं। चारों तरफ बर्फ के पहाड़ों के बीच लद्दाख के लोगों को अक्तूबर से मई तक के लिए खाने-पीने की चीजों के अलाव रोजमर्रा की दूसरी चीजें भी पहले ही एकत्र कर रखनी पड़ती हैं। नमक हो या फिर तेल सब कुछ 6 महीने के स्टाक के साथ जमा होता है।