नयी दिल्ली, 16 सितंबर (ट्रिन्यू)
लद्दाख में चीन से तनाव से मुद्दे पर मोदी सरकार संसद में कांग्रेस को अलग-थलग करने में जुट गई है। इसी रणनीति के तहत सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक तो बुलायी लेकिन उसमें चीन पर चर्चा की बजाए सत्र के बिलों को लेकर ही चर्चा की। चीन से तनाव के मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा के बाद अब कल बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बयान देंगे। सरकार की, संसद से सेना के साथ समूचे देश के खड़े होने संबंधी प्रस्ताव पारित कराने की योजना भी है।
संसद में कांग्रेस और वामदलों को छोड़ अधिकतर विपक्षी दल चीन मुद्दे पर सरकार के साथ दिख रहे हैं। टीएमसी, वामदल आदि सरकार को भले ही समर्थन पर अभी खामोश हैं, लेकिन कांग्रेस की तरह खुल कर आलोचना भी नहीं कर रहे हैं। बसपा ने तो इस मसले पर सरकार के साथ खड़े होने का ऐलान भी कर दिया है। कांग्रेस ही अकेली पार्टी है जो लगातार हमलावर बनी हुई है। लोकसभा में मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के दौरान कांग्रेस ने ही वाकआउट किया। कांग्रेस में भी खासतौर पर राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री को निशाना बने रहे हैं, जबकि पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता चुप हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकार से पहले तो खुद पहल कर चीन प्रकरण पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की योजना बनाई, लेकिन इसका ऐजेंडा घोषित नहीं किया। जब देखा कि अकेली कांग्रेस ही इस मामले में मुखर है तो सरकार ने उसे नजरंदाज कर बैठक में मानसून सत्र के लिए बिलों को लेकर ही चर्चा की। खुद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद कहा कि यह बैठक चीन को लेकर नहीं थी, इसमें विधयेकों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह इस बैठक में रक्षा मंत्री की बजाए लोकसभा के उप नेता के रूप में सम्मिलित हुए।