अदिति टंडन/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 11 सितंबर
जेनेटिक टेस्टिंग को कैंसर के खिलाफ कारगर हथियार बताते हुए विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि इससे उन संभावित वंशानुगत रोगियों की पहचान की जा सकती है, जिनमें जेनेटिक म्यूटेशन के चलते यह रोग न सिर्फ उन्हें खुद को, बल्कि उनके परिवार को भी होने का खतरा बना रहता है। विशेष जेनेटिक म्यूटेशन के चलते महिलाओं में स्तन, डिम्बग्रंथि और गर्भाशय के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे रोगियों में जीन परीक्षण के माध्यम से कैंसर पैदा करने वाले म्यूटेशन का पता लगाने के बाद उपलब्ध इलाज से कई तरह के कैंसर को रोका जा सकता है। एेसे ही प्रयास के तहत इस्राइल में कैंसर की रोकथाम के लिए जनसंख्या-आधारित जेनेटिक टेस्टिंग शुरू की गयी है। लंदन के प्रमुख ऑन्कोलॉजिस्ट और एम्स, दिल्ली में ऑन्कोलॉजी के इंफोसिस चेयर, रंजीत मनचंदा वर्तमान में निवारक ऑन्कोलॉजी पर जागरूकता के लिए भारत में हैं। उन्होंने आज कहा, औसतन 20 प्रतिशत ओवेरियन कैंसर, 4 से 5% स्तन कैंसर और 3 से 5% गर्भाशय के कैंसर को जेनेटिक टेस्टिंंग के माध्यम से रोका जा सकता है। मनचंदा ने ट्रिब्यून को बताया कि भारत के साक्ष्यों से यहां तक पता चला है कि आनुवंशिक परीक्षण से 10% स्तन कैंसर को रोका जा सकता है।
अब रोग से पहले भी की जा रही सर्जरी : एम्स में स्त्री रोग विभाग की प्रमुख नीरजा भटला ने कहा कि जेनेटिक टेस्टिंग से किसी महिला में कैंसर पैदा करने वाला जीन पाया जाता है, तो उसे भविष्य के संभावित कैंसर का समय पर पता लगाने के लिए नियमित जांच कराने की सलाह दी जा सकती है। एम्स अब जोखिम कम करने वाली सर्जरी भी कर रहा है। जेनेटिक टेस्टिंग में किसी अंग में कैंसर होने का खतरा पाये जाने पर उस सामान्य अंग को बीमारी होने से पहले ही हटा दिया जाता है। इस तरह 80 से 90% कैंसर की रोकथाम संभव है। उन्हाेंने बताया कि एम्स, दिल्ली और टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई में जेनेटिक टेस्टिंग की सुविधा है। मनचंदा ने कहा कि टेस्ट की लागत कम करने और हजारों लोगाें को कैंसर से बचाने के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश जरूरी है।
15 हजार तक खर्च में टेस्ट
जेनेटिक टेस्ट की लागत करीब 15,000 रुपये है। विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग खर्च कर सकते हैं, उन्हें टेस्ट करवाना चाहिए और उम्मीद है कि भविष्य में लागत में कमी आएगी।