बहराइच (एजेंसी) : लखीमपुर खीरी में रविवार को प्रदर्शन के दौरान तेज रफ्तार गाड़ी से कथित तौर पर कुचले गये 4 किसानों में से 3 का मंगलवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि एक मृतक के परिजनों ने शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग करते हुए दाह संस्कार करने से इनकार कर दिया। उनका आरोप है कि गुरविंदर को गोली मारी गयी और झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने का जिक्र नहीं है। परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए मनाने अपर पुलिस महानिदेशक स्तर के एक अधिकारी और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी मौके पर पहुंच गए। इस बीच प्रशासन ने गुरविंदर के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराने की अनुमति दे दी। मारे गये 4 किसानों में 2 लखीमपुर खीरी और 2 बहराइच जिले के रहने वाले थे। चारों के शव सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद परिवारों को सौंप दिये गये थे। लखीमपुर खीरी जिले के पलिया में दोपहर बाद सतनाम सिंह ने अपने पुत्र लवप्रीत सिंह (19) का अंतिम संस्कार किया। लखीमपुर खीरी में धौरहरा तहसील के नछत्तर सिंह (60-65) के पार्थिव शरीर को सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में तैनात उनके पुत्र मनदीप सिंह ने मुखाग्नि दी। बहराइच में दलजीत सिंह (42) के परिजनों ने अंतिम संस्कार किया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।