हरीश लखेड़ा/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 10 अक्तूबर
उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड समेत महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को एडवाइजरी जारी कर सभी राज्यों से कहा कि हर मामले में अनिवार्य कार्रवाई की जानी चाहिये। मंत्रालय ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है, इसमें कोई आनाकानी नहीं की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित किया जाए। दुष्कर्म की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर मेडिकल परीक्षण कराया जाना चाहिए। इस तरह के मामलों की जांच सीआरपीसी की धारा 173 के तहत पुलिस को 2 माह के भीतर पूरी करनी चाहिए। गृह मंत्रालय ने इसके लिए अपने पोर्टल का जिक्र कर कहा कि यहां से जांच की मॉनिटरिंग हो सकती है।
दरअसल, हाथरस समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों से केंद्र सरकार की किरकिरी हो रही है। इस पर गृह मंत्रालय की ओर से उप सचिव पवन मेहता ने यह एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया है कि यदि अपराध थाने की सीमा के बाहर का हो, तब भी कानून में जीरो एफआईआर का प्रावधान है। इस तरह हर हालत में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। इसके अलावा मौत के मामले में पीड़ित के मरने से पहले के बयान को भी गृह मंत्रालय ने जांच में महत्वपूर्ण तथ्य बताया है। मंत्रालय ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के 7 जनवरी 2020 के फैसले में स्पष्ट है कि जब किसी बयान को मृत्यु के समय दिया गया बयान माना जाता है और वह सभी न्यायिक समीक्षाओं को पूरा करता है, तो उसे सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि उसे मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज नहीं किया गया या पुलिस अधिकारी को वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने सत्यापित नहीं किया। मंत्रालय ने कहा कि फॉरेंसिक साइंस सर्विसेज निदेशालय ने दुष्कर्म के मामलों में फॉरेंसिक सबूत एकत्रित करने के लिए जो गाइडलाइंस बनाई हैं, उनका पालन किया जाना चाहिए।
लापरवाही पर हो सख्त कार्रवाई : केंद्र ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है। राज्यों से कहा गया है कि एफआईआर दर्ज न करने वाले अधिकारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 166 ए (सी) के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।