नयी दिल्ली, 19 मई (एजेंसी)
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारियों को अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले कॉमर्शियल वाहनों की आवाजाही के असली समय की जानकारी भी हासिल होगी। कॉमर्शियल वाहनों द्वारा लिये जाने वाले ई-वे बिल प्रणाली को अब फास्टैग और आरएफआईडी के साथ जोड़ दिया गया है। इससे कॉमर्शियल वाहनों पर सटीक नजर रखी जा सकेगी और जीएसटी चोरी का पता चल सकेगा। जीएसटी अधिकारियों की ई-वे बिल मोबाइल एप में यह नया फीचर जोड़ दिया है। इसके जरिये वह ई-वे बिल का वास्तविक ब्योरा जान सकेंगे। इससे उन्हें टैक्स चोरी करने वालों को पकड़ने और ई-वे बिल प्रणाली का दुरुपयोग करने वालों को पकड़ने में मदद मिलेगी। जीएसटी के तहत 28 अप्रैल, 2018 से व्यापारियों और ट्रांसपोटरों को 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य का सामान की अंतरराज्यीय बिक्री और खरीद पर ईवे-बिल बनाना और दिखाना अनिवार्य है। ई-वे बिल प्रणाली में रोजाना 25 लाख मालवाहक वाहनों की आवाजाही देश के 800 से अधिक टोल नाकों से होती है। नयी प्रक्रिया से अधिकारी उन वाहनों की रिपोर्ट देख सकेंगे जिन्होंने पिछले कुछ मिनटों के दौरान बिना ई-वे बिल के टोल नाकों को पार किया है। साथ ही किसी राज्य के लिए आवश्यक वस्तु ले जा रहे वाहनों के टोल को पार करने की रिपोर्ट को भी देखा जा सकेगा। कर अधिकारी वाहनों के संचालन की समीक्षा करते समय इन रिपोर्टों का उपयोग कर सकेंगे।
‘टैक्स चोरी रोकने में मिलेगी मदद’
एमआरजी एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही और वस्तुओं पर नजर रखने के लिए वाहनों की सटीक जानकारी से कर चोरी रोकने में मदद करेगी।