चंडीगढ़, 21 नवंबर (ट्रिन्यू/ एजेंसी)
पंजाब में 2 महीने से ठप रेल सेवाएं बहाल होने के आसार बन गये हैं। राज्य के किसान संगठनों ने शनिवार को यहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ बैठक के बाद रेल रोको आंदोलन सोमवार शाम से 15 दिनों के लिए वापस लेने का ऐलान किया। हालांकि, किसान संगठनों ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों संबंधी उनकी मांगें स्वीकार करने की तरफ कदम नहीं उठाया, तो वे फिर से रेल पटरियों को बाधित कर देंगे।
किसानों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री ने केंद्र से सभी ट्रेन सेवाएं बहाल करने और किसानों के साथ आगे बातचीत करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे तथा उनकी मांगों पर जोर देंगे।
इस बीच मंडल रेल प्रबंधक (फिरोजपुर) राजेश अग्रवाल ने एक बयान में कहा कि जैसे ही किसान नाकेबंदी हटा लेंगे, रेलवे अपनी सेवाएं फिर शुरू करने के लिए तैयार हो जाएगा।
10 दिसंबर तक का दिया अल्टीमेटम : मुख्यमंत्री के साथ बैठक में भारतीय किसान यूनियन समेत 30 किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इससे पहले किसान संगठनों ने अपनी बैठक की। किसान संगठनों ने कहा कि यह निर्णय केंद्र या पंजाब सरकार के दबाव में नहीं, बल्कि पंजाब के हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यदि केंद्र ने हमारे मुद्दों का हल नहीं किया, तो 10 दिसंबर से रेल पटरियों को फिर बाधित करेंगे।
24 सितंबर से बंद हैं रेलगाड़ियां : पंजाब में किसान संगठनों के अांदोलन के कारण 24 सितंबर से ट्रेन सेवाएं स्थगित हैं। कुछ दिन पहले किसानों ने मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए सहमति दी थी। लेकिन, रेलवे ने कहा था कि मालगाड़ियों के साथ यात्री गाड़ियां भी चलाई जाएंगी, या दोनों नहीं।
अन्य जगह जारी रहेंगे धरने
किसान नेताओं ने कहा कि रेलवे स्टेशनों के बाहर पार्कों, शॉपिंग मॉल और भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 26-27 नवंबर को दिल्ली कूच करने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। किसान नेताओं के अनुसार महीनों का राशन, ईंधन और अन्य जरूरी सामान जुटा लिया गया है। चंडीगढ़ स्थित किसान भवन में भारतीय किसान मंच के अध्यक्ष बूटा सिंह शादीपुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये फैसले लिए गये।
40 हजार करोड़ का नुकसान
मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने कहा कि ट्रेनें रोके जाने के कारण राज्य को 40 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। जरूरी वस्तुआें समेत कोयला, खाद, यूरिया की कमी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कच्चे माल की कमी के कारण लुधियाना और जालंधर में बड़ी संख्या में यूनिट बंद हो चुके हैं। इसके चलते 6 लाख प्रवासी कामगार वापस जा रहे हैं। अमरेंद्र सिंह ने किसान प्रतिनिधियों से वादा किया कि वह उनकी अन्य मांगों पर भी गौर करेंगे, जो गन्ना मूल्य में वृद्धि, बकाया राशि की मंजूरी और पराली जलाने के मामलों में दर्ज प्राथमिकी वापस लेने से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि वह अगले एक सप्ताह के भीतर इन मुद्दों पर उनसे बातचीत करेंगे और इस संबंध में एक समिति गठित की जाएगी।