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हथियारों का निर्यात हमारे वैज्ञाानिकों की सफलता का प्रमाण : कटारिया

मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज
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चंडीगढ़ में शनिवार को मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, सांसद मनीष तिवारी, ले. जनरल (सेवा निवृत्त) टीएस शेरगिल एवं अन्य (बाएं) एवं कार्यक्रम में ‘वॉल ऑफ द ट्रिब्यून’ के सामने फोटो खिंचवाते स्कूली बच्चे, सैन्य हथियारों के पास लोग, कार्यक्रम में घुड़सवारी का करतब दिखाता सैनिक और डॉग शो के नजारे। - रवि कुमार
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 30 नवंबर

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पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने हथियार प्रणालियों के स्वदेशीकरण में भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि अब निर्यात किए जा रहे ऐसे हथियार उनकी सफलता का प्रमाण हैं। शनिवार को यहां मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल (एमएलएफ) के आठवें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी, लेकिन अवसर गायब थे। उन्होंने कहा, ‘अब जब अवसर उपलब्ध हैं, हमने दुनिया को दिखाया है कि हमारी प्रतिभा क्या पैदा कर सकती है और हम किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है और पहली बार है कि अन्य देशों ने भारत से हथियार प्रणाली खरीदने में रुचि दिखाई है।

कटारिया ने सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका की भी सराहना की और कहा कि वे सीमाओं पर तैनाती और आधुनिक लड़ाकू विमान उड़ाने सहित सभी प्रकार की भूमिकाएं निभा रही हैं। रक्षा कर्मियों के बलिदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उनके कारनामों व उपलब्धियों को दर्ज किया जाना चाहिए और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाया जाना चाहिए, जिसके लिए साहित्य उचित माध्यम है।

चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में संघर्ष और दक्षिण चीन सागर में तनाव की तरफ संकेत करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार हमारे सामने तीन संघर्ष एक साथ चल रहे हैं, जिनमें सामूहिक रूप से विश्व व्यवस्था को प्रभावित करने की गहन क्षमता है।

उन्होंने एशिया में चीन, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान और ईरान सहित परमाणु और अर्ध-परमाणु देशों के गठबंधन के उद्भव को चिह्नित करते हुए कहा कि यह आने वाले दशक में भारत की सबसे बड़ी सुरक्षा दुविधा होगी और भारतीय रणनीतिक योजनाकारों के लिए एक चुनौती होगी। युद्ध अर्थव्यवस्था पर निर्भरता के कारण आने वाले वर्षों में रूस की स्थिति में गिरावट का अंदेशा जताते हुए तिवारी ने कहा कि कौन सा देश इस शून्य को भर सकता है, चीन या उसके साथ कोई अन्य देश, यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

तीन संघर्षों से पैदा हुई असुरक्षाओं के कारण सोने की चमक बढ़ गयी है, केंद्रीय बैंकों के पास 2008 में पांच प्रतिशत की तुलना में अब लगभग 12 प्रतिशत सोने का भंडार है। उन्होंने कहा कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के ‘डी-डॉलराइजेशन’ की संभावना बढ़ जाती है और यदि ऐसा होता है तो अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन एवं व्यापार तंत्र पर अर्थशास्त्रियों व योजनाकारों को विचार करना होगा।

एमएलएफ एसोसिएशन के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह शेरगिल (सेवानिवृत्त) ने वर्तमान विश्व व्यवस्था को आकार दे रहे भू-राजनीतिक माहौल पर चर्चा की।

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