नयी दिल्ली, 8 नवंबर (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच अपेक्षा के अनुरूप नहीं बताते हुए एसआईटी जांच की निगरानी अलग हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश से हर रोज कराने का सुझाव दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा, हम नहीं चाहते कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय न्यायिक आयोग जांच जारी रखे। शीर्ष अदालत ने एसआईटी जांच से संबंधित कुछ मुद्दों पर नाराजगी जताते हुए सोमवार को कहा, ‘प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों की भीड़ द्वारा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पीट-पीट कर हत्या करने से संबंधित वाद से जुड़े गवाहों से साक्ष्य सुनिश्चित करके या गवाहों को खरीदकर एक विशेष आरोपी (किसानों की हत्या के मामले में) को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।’
अदालत ने इस बात को लेकर भी आलोचना की कि राज्य पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गिरफ्तार किए गये 13 आरोपियों में से सिर्फ एक आशीष मिश्रा का फोन जब्त किया। चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘हमने स्थिति रिपोर्ट देखी है। इसमें यह कहने के अलावा कुछ भी नहीं है कि कुछ और गवाहों से पूछताछ की गई है। हमने 10 दिन का समय दिया। लेकिन प्रयोगशाला रिपोर्ट नहीं आई है। नहीं, नहीं, नहीं… यह (जांच) उम्मीद के मुताबिक नहीं चल रही है।’ अदालत ने यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को 12 नवंबर तक जवाब देेने को कहा कि एसआईटी जांच की निगरानी किसी अन्य हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश क्यों न करें? यह स्पष्ट करते हुए कि किसानों की कुचलकर हत्या और बाद में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या से संबंधित प्राथमिकियों की जांच अलग-अलग की जानी चाहिए, पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि लिंचिंग मामले के गवाहों को पूर्व के मामले के अभियुक्त को बचाने के लिए ‘खरीदा या सुरक्षित’ किया जा रहा है।
गौर हो कि 3 अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन के दौरान एक एसयूवी ने किसानों को कुचल दिया। इसमें 4 किसानों की मौत हो गया थी। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के 2 कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। आरोप है कि जिस वाहन से किसानों को कुचला गया, उसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा भी सवार था। पुलिस ने आशीष समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। राज्य सरकार ने न्यायिक जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को नामित किया था।
जस्टिस रंजीत सिंह, जस्टिस राकेश कुमार जैन का नाम अदालत ने कहा, ‘हम किसी भी प्रकार से आश्वस्त नहीं हैं। हम पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस रंजीत सिंह जैसे व्यक्ति को नियुक्त करने का प्रस्ताव करते हैं, जो आपराधिक कानून और सेना की पृष्ठभूमि में विशेषज्ञता रखते हैं। उसी हाईकोर्ट से जस्टिस राकेश कुमार जैन जैसे स्वतंत्र न्यायाधीश को सब चीजों की निगरानी करने दें।’