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पूर्वी लद्दाख : भारत-चीन सैनिकों की दो स्थानों से वापसी पूरी

आज दिवाली पर मिठाइयों का होगा आदान-प्रदान, जल्द शुरू होगी गश्त

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पूर्वी लद्दाख में सैन्य बलों की वापसी का नजारा। - एएनआई
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नयी दिल्ली, 30 अक्तूबर (एजेंसी)

भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले दो स्थानों- डेमचोक और देपसांग में सैनिकों की वापसी हो गई है और जल्द ही इन स्थलों पर गश्त शुरू कर दी जाएगी। भारतीय सेना के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को दिवाली के मौके पर दोनों पक्षों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान होगा। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों को पीछे हटाने पर दोनों देशों के बीच बनी सहमति को चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध समाप्त करने की दिशा में बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध बरकरार था और भारत-चीन संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे।

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सूत्रों ने बताया कि सैनिकों के पीछे हटने के बाद सत्यापन का काम प्रगति पर है और स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के जरिये गश्त के तौर-तरीके तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘स्थानीय कमांडर स्तर पर बातचीत जारी रहेगी।’

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दिवाली पर दोनों पक्षों के बीच मिठाइयों के आदान-प्रदान की योजना के बारे में पूछे जाने पर एक सूत्र ने कहा कि यह सैन्य और कूटनीतिक दोनों लिहाज से एक बड़ी जीत है। हालांकि, फिलहाल यह पता नहीं चला है कि मिठाइयों का आदान-प्रदान कहां किया जाएगा। भारतीय और चीनी सैनिकों ने अतीत में त्योहारों और अन्य महत्वपूर्ण मौकों पर पारंपरिक रूप से पूर्वी लद्दाख सहित एलएसी पर कई सीमा चौकियों पर मिठाइयों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया है।

सूत्रों ने 25 अक्तूबर को बताया था कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया 28-29 अक्तूबर तक पूरी होने की संभावना है। समझौते की रूपरेखा पर पहले राजनयिक स्तर पर हस्ताक्षर किए गए और फिर सैन्य स्तर की बातचीत हुई।

इस बीच, भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान सैनिकों की वापसी से जुड़े सवाल पर कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि इस सहमति के तहत भविष्य में संबंध सुचारु रूप से आगे बढ़ेंगे और दोनों पक्षों के बीच विशिष्ट असहमति से प्रतिबंधित या बाधित नहीं होंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मतभेदों से कैसे निपटा जाए।’

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