नयी दिल्ली : भारतीय वायु सेना ने कुन्नूर के पास हुए हेलिकॉप्टर हादसे पर ‘बेबुनियाद’ अटकलें न लगाने का आह्वान किया है। वायु सेना ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा, ‘वायु सेना ने हादसे के कारणों की जांच के लिए तीनों सेनाओं की टीम वाली कोर्ट ऑफ इनक्वायरी गठित की है। जांच तेजी से पूरी की जाएगी और तथ्य सामने आएंगे। तब तक, मृतकों की गरिमा का सम्मान करने के लिए, बेबुनियाद अटकलों से बचा जा सकता है।’ दुर्घटना के कारणों के बारे में एक खास वर्ग द्वारा अटकलें लगाए जाने के बीच वायु सेना की यह टिप्पणी आई। शिवसेना नेता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि जनरल रावत की मौत ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है। राउत ने कहा था कि जनरल रावत ने हाल के दिनों में चीन और पाकिस्तान के खिलाफ देश की सैन्य प्रतिक्रिया की रूपरेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी, इसलिए जब ऐसा कोई हादसा होता है, तो यह लोगों के मन में संदेह पैदा करता है। इस बीच, दुर्घटना में चीन का हाथ होने की संभावना को लेकर पूछे जा रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी सरकारी मीडिया ने किसी भी तरह के षड्यंत्र के सिद्धांत से इनकार किया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।