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हरियाणा में डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, सरकार ने लगाया एस्मा; आमरन अनशन की तैयारी

मांगों पर सहमति न बनने से टकराव बढ़ा, कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
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हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। हड़ताल के कारण कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने लगीं, जिसके बाद राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए एस्मा लागू कर दिया। इस अधिनियम के तहत डॉक्टरों की हड़ताल पर अगले छह महीनों तक प्रतिबंध रहेगा। सरकार की ओर से एस्मा लागू होने की घोषणा के बावजूद हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (एचसीएमएसए) ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय दोहराया है।

एसोसिएशन का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर अंतिम सहमति नहीं बनती, तब तक ओपीडी, इमरजेंसी सहित सभी सेवाएं बंद रहेंगी। एसोसिएशन ने बुधवार से आमरण अनशन शुरू करने की भी तैयारी की है। इससे डॉक्टरों और सरकार के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना है। हड़ताल के दौरान यमुनानगर, पानीपत, फतेहाबाद, जींद, कैथल, हिसार, झज्जर और दादरी जिलों में सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं। कई सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के कक्ष बंद मिले। ओपीडी में मरीजों की लंबी कतार लगी और गंभीर मरीजों को रेफर करना पड़ा। महेंद्रगढ़ में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण एक छह वर्षीय बच्ची के पोस्टमॉर्टम का काम पूरा नहीं हो सका। ब

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च्ची के शव को फिर नारनौल भेजना पड़ा। पंचकूला सिविल अस्पताल में मरीज कई घंटे डॉक्टरों का इंतजार करते रहे। हिसार में एक सड़क हादसे में घायल युवक, जिसके पैर में गंभीर चोट थी, अस्पताल पहुंचा तो उसे बताया गया कि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। इन परिस्थितियों के चलते मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने मजबूरी में निजी अस्पतालों का रुख किया, लेकिन इससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ गया।

यहां अभी सामान्य रहे हालात

दूसरी ओर, रोहतक, अंबाला, भिवानी, सिरसा और कुरुक्षेत्र जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं लगभग सामान्य दिखाई दीं। इन जिलों में सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर मेडिकल कॉलेजों के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट्स, एनएचएम के डॉक्टर, ईएसआई के मेडिकल अधिकारी, आयुष विभाग के डॉक्टर और आयुष्मान भारत योजना से जुड़े चिकित्सकों को अस्पतालों में तैनात किया है। इनकी तैनाती से ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को चलाने में मदद मिली है। साथ ही सरकार ने सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि जरूरत होने पर निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी अस्थायी रूप से बुलाया जा सकता है, ताकि जरूरी सेवाएं बाधित न हों।

स्वास्थ्य मंत्री ने ली अफसरों संग बैठक

डॉक्टरों की हड़ताल के बीच मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने विभाग के आला अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। बैठक में विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। आरती सिंह राव ने बैठक के बाद कहा कि राज्य में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह सुचारू रूप से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि हड़ताल के बावजूद मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर, एनएचएम, ईएसआई, आयुष और आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्यरत डॉक्टर अस्पतालों में मरीजों को सेवाएं दे रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में किसी भी जरूरी सेवा को बंद नहीं होने दिया गया है। मंत्री ने कहा कि सरकार डॉक्टरों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है और इस मामले पर जल्द समाधान निकलने की उम्मीद है। उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वे काम पर लौटें और मरीजों की सुविधा का ध्यान रखें।

बातचीत के बिना काम पर नहीं लौट सकते

एसोसिएशन के राज्य प्रधान डॉ. राजेश ख्यालिया ने बताया कि सरकार को कई बार बातचीत का अनुरोध भेजा गया, लेकिन कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया। एसोसिएशन की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, सभी डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे। एसोसिएशन का कहना है कि वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) की सीधी भर्ती रोकने पर सरकार और एसोसिएशन के बीच सहमति बन चुकी है। एश्योर्ड करियर प्रमोशन (एसीपी) से जुड़ी मांगों पर कोई समाधान नहीं निकल पाया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार, एसीपी से जुड़े मामले लंबे समय से लंबित हैं और डॉक्टर बार-बार इसे उठाते आए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार स्पष्ट सहमति नहीं देती, तब तक वे हड़ताल खत्म नहीं करेंगे।

आप भी समझें क्या है एस्मा

एस्मा ऐसे समय लागू किया जाता है जब आम जनता से जुड़ी आवश्यक सेवाओं पर हड़ताल या अन्य कारणों से असर पड़ने की आशंका होती है। इसके तहत सरकार हड़ताल पर रोक लगा सकती है। नियम तोड़ने पर बिना वारंट गिरफ्तारी हो सकती है। आवश्यक सेवाओं में बाधा डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। एस्मा अधिकतम छह महीने तक लागू किया जा सकता है और जरूरत होने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

स्थिति तनावपूर्ण, समाधान का इंतजार

डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल और सरकार की ओर से एस्मा लागू होने के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। कुछ जिलों में वैकल्पिक व्यवस्था के बावजूद कई अस्पतालों में सेवाएं प्रभावित हैं। एसोसिएशन के आमरण अनशन की तैयारी के बाद हालात और बिगड़ने की आशंका है। सरकार और डॉक्टरों के बीच बातचीत का सिलसिला फिर शुरू होगा या नहीं, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। दोनों पक्षों के रुख में कड़ाई बनी हुई है और इसका असर सीधा मरीजों पर पड़ रहा है। फिलहाल राज्य भर में लोग इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि दोनों पक्ष कब बातचीत की टेबल पर लौटेंगे और कब सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बहाल होंगी।

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