नयी दिल्ली, 4 दिसंबर (एजेंसी)
उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सरकारों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं की पृष्ठभूमि में कल्याण और विकास के उद्देश्यों के बीच तालमेल बिठाने पर व्यापक चर्चा का शनिवार को आह्वान किया। नायडू ने सुझाव दिया कि संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) अपव्यय को रोकने के लिए सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से संसाधनों के उपयोग की जांच करे और मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं पर व्यापक चर्चा हो।
सभापति ने यह भी कहा कि संसद को हर साल कम से कम 100 दिन और राज्य विधानसभाओं को कम से कम 90 दिन बैठक करनी चाहिए। पीएसी के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद के केंद्रीय कक्ष में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि व्यय को सावधानीपूर्वक संतुलित किया जाना चाहिए ताकि अल्पकालिक और दीर्घकालिक विकास, उद्देश्यों दोनों पर समान रूप से ध्यान दिया जा सके। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भी मौजूद थे। कोविंद ने रेखांकित किया कि पीएसी अनियमितताओं का पता लगाने के लिए सार्वजनिक व्यय की जांच करती है।
उन्होंने कहा,’इसका (पीएसी) कोई अन्य उद्देश्य नहीं बल्कि बर्बादी, नुकसान, भ्रष्टाचार, अपव्यय, अक्षमता के मामलों को ध्यान में लाना है। अगर ईमानदार करदाताओं से आने वाले प्रत्येक रुपये में से अधिक पैसा जरूरतमंद लोगों और राष्ट्र निर्माण के लिये पहुंच रहा है, तो इसके पीछे पीएसी और उसके सदस्यों की बड़ी भूमिका है।’