प्रथम शर्मा/हप्र
झज्जर, 21 सितंबर
एक अक्तूबर, 2023 से डीजल जनरेटर दिल्ली एनसीआर में प्रतिबंधित हो जाएंगे। इस संबंध में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सख्त हिदायतें जून माह में ही जारी कर दी थीं। इस बार ग्रेडिड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप 1 अक्तूबर से शुरू हो रहा है। इस दौरान दिल्ली एनसीआर में किसी भी तरह का डीजल जनरेटर नहीं चल पाएगा। पिछले साल जहां केवल इंडस्ट्रियल जनरेटर पर ही प्रतिबंध लगा था, वहीं इस बार एमरजेंसी सर्विस जैसे- अस्पताल, रेलवे स्टेशन, मेट्रो, बैंक आदि कहीं भी डीजल जनरेटर से बिजली आपूर्ति नहीं की जा सकेगी।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग के एसडीओ अमित दहिया ने बताया कि अगर जनरेटर चलाने की जरूरत ही आन पड़े तो उसे दोहरे ईंधन (ड्यूल फ्यूल) मोड में परिवर्तित करवाना होगा। इसके लिए रेट्रोफिट उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण (आरईसीडी) किट लगवानी होगी और जनरेटर को 70 प्रतिशत गैस और 30 प्रतिशत डीजल में परिवर्तित करवा कर बिजली जाने के बाद 2 घंटे के लिये चलाया जा सकता है। जनरेटर चलाने पर पाबंदी की खबर के बाद कई इलाकों के अस्पताल संचालकों में खलबली मच गई है। इस मामले में यहां के डॉ. संजय सिंह का कहना है कि किसी के ऑपरेशन के दौरान अगर बिजली चली जाती है तो जनरेटर चलाना उनकी मजबूरी हो जाती है, क्योंकि एक जीवन बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। इसलिए उन्होंने सरकार और आयोग से अस्पतालों को इस प्रतिबंधन से छूट देने की मांग की है।
वहीं उद्योगों के संगठनों ने सरकार से 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है। उनकी ओर से कहा गया कि अगर सरकार बिजली नहीं दे पा रही है तो बिजली कट की अवधि में उन्हें जनरेटर चलाने की अनुमति मिलनी ही चाहिए। बताया गया कि जिले के बहादुरगढ़ क्षेत्र के सभी उद्योगों तक गैस पाइपलाइन नहीं पहुंची है और आरईसीडी किट भी काफी महंगी है। इसके चलते ड्यूल फ्यूल मोड में सभी जरनेटर नहीं बदल पाए हैं।
हफ्तेभर का बचा है समय
यह प्रतिबंध दिल्ली एनसीआर की हवा को साफ करने के मकसद से लगाया जा रहा है। जिन इंडस्ट्री, कमर्शियल, रिहायशी, ऑफिस और शैक्षणिक संस्थानों को जनरेटर चलाना है तो उन्हें 30 सितंबर तक डीजल जनरेटर को ड्यूल फ्यूल मोड में परिवर्तित करवाना ही होगा। यानी उनके पास लगभग एक हफ्ते का समय है। जहां पीएनजी की सप्लाई लाइन नहीं है, वहां आरईसीडी किट को पोर्टेबल गैस सिलेंडर के साथ जोड़कर जनरेटर चलाने की अनुमति मिल सकती है।