नयी दिल्ली, 24 सितंबर (एजेंसी)
दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को बृहस्पतिवार को 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में कठोर आतंकवाद रोधी कानून, गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया है। 10 दिन की पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद उमर खालिद वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये अदालत में पेश किया गया। खालिद 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। खालिद ने अदालत के समक्ष दावा किया कि उन्होंने पुलिस हिरासत के दौरान किसी भी तरह के दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
उन्होंने अदालत से कहा, ‘दस दिन की पुलिस हिरासत के दौरान मैंने किसी भी तरह के दस्तावेज या बयान पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।’
ये हैं आरोप
पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा ‘पूर्व-नियोजित साजिश’ थी, जिसे कथित रूप से खालिद और दो अन्य लोगों ने अंजाम दिया था। खालिद के खिलाफ राजद्रोह, हत्या, हत्या का प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच द्वेष पैदा करने और दंगा भड़काने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि खालिद ने कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिये। लोगों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरने की अपील की। ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुष्प्रचार किया जा सके कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है। कई घरों में हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर जमा किये गए। सह-आरोपी दानिश को कथित रूप से दो अलग-अलग जगहों पर लोगों को जमा करने और दंगा भड़काने की जिम्मेदारी दी गई। 23 फरवरी को महिलाओं और बच्चों को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क बंद करने के लिये कहा गया ताकि लोगों के बीच तनाव पैदा किया जा सके।