नयी दिल्ली : दक्षिण दिल्ली के अपोलो अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलने के बाद एक कोविड पेशेंट महिला की मौत पर मंगलवार को उसके परिवार के सदस्यों ने अस्पताल कर्मियों पर हमला कर दिया। अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा, ‘बिस्तरों की कमी के चलते परिवार को मरीज को किसी ऐसे अस्पताल में ले जाने की सलाह दी गयी जहां बिस्तर उपलब्ध हो। दुर्भाग्य से सुबह आठ बजे मरीज की मृत्यु हो गयी जिसके बाद उसके परिवार के सदस्य तोड़फोड़ करने लगे और उन्होंने हमारे डॉक्टरों एवं अन्य कर्मियों पर हमला किया।’ हालांकि अस्पताल ने इस घटना के सिलसिले में कोई शिकायत नहीं दर्ज करायी है। सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों में फर्श पर खून तथा टूटे दरवाजे एवं फर्नीचर नजर आ रहे हैं। कथित तौर पर इस घटना के एक वीडियो में अस्पतालकर्मियों एवं कुछ लोगों के बीच भिड़ंत भी नजर आ रही है। -एजेंसी
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।